अविनाश श्रीवास्तव/ सासाराम। राजनीति जगत को आईना दिखाने वाली बड़ी खबर सामने आई है। बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने राजनीति में शब्दों के मर्यादा विहीन होते स्वरूप पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन और खासकर राजनीति में गाली-गलौज का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। मंचों का उपयोग यदि समाज निर्माण के बजाय किसी की मां-बहन को अपमानित करने के लिए किया जाएगा तो यह बेहद चिंताजनक स्थिति है।
गंभीरता से विचार करने की जरूरत
अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि आज के दौर में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने भाषण की शैली पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। समाज के प्रबुद्ध वर्ग को भी इस विषय पर आगे आकर सोचने और समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा हम किस तरह का समाज बना रहे हैं, यह हम सबकी सामूहिक जवाबदेही है। बातचीत में सौम्यता और शालीनता जरूरी है, तभी राजनीति की गरिमा बनी रह सकती है।
मर्यादाओं का ख्याल रखा जाए
सभापति ने यह भी स्पष्ट किया कि वे सदन के अंदर भी लगातार सदस्यों से अपील करते हैं कि संवाद और विमर्श के दौरान मर्यादाओं का ख्याल रखा जाए। उन्होंने कहा कि आम जनता यह चाहती है कि उनका नेता न केवल नीतियों से बल्कि अपने आचरण और चरित्र से भी आदर्श प्रस्तुत करे। राजनीति में सुचिता का अभाव लोकतंत्र को कमजोर करता है और यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
तीखी बयानबाजी शुरू हो गई
यह बयान उस समय आया है जब पिछले दिनों दरभंगा में कांग्रेस के एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी माता को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया। इस घटना ने बिहार की राजनीति को गरमा दिया और इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस-राजद के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।
समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है
अवधेश नारायण सिंह का कहना है कि लोकतंत्र की असली शक्ति शालीन संवाद और रचनात्मक बहस में है, न कि अपशब्दों और व्यक्तिगत हमलों में। उन्होंने जोर देकर कहा कि आने वाली पीढ़ियों को भी यह संदेश जाना चाहिए कि राजनीति का मकसद गाली-गलौज नहीं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है।
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