शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्ता के सेमीफाइनल में भले ही बीजेपी ने सुनामी के साथ जीत हासिल की हो, लेकिन लोकसभा के फाइनल मैच में कुछ सीट ऐसी भी हैं जो बीजेपी के लिए चुनौती साबित हो सकती है। बीते विधानसभा चुनावों में छह लोकसभा सीटें पर कांग्रेस का वोटिंग परसेंटेज बढ़ा है, तो दूसरी ओर बीजेपी इस बार प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर कमल खिलाने का दावा कर रही है। बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी को एमपी की कुल 210 विधानसभाओं से पक्ष में वोट मिले। इस बार के विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी को खासी मशक्कत करनी होगी।

मुरैना लोकसभा सीट में श्योपुर, विजयपुर, जौरा, मुरैना और अंबाह में कांग्रेस को बढ़त मिली। सबलगढ़, सुनावली और दिमनी में बीजेपी को संतोषजनक परिणाम मिले। मंडला लोकसभा में भी जीत की राह आसान नहीं है। इस लोकसभा में कुल आठ विधानसभा सीट हैं। इसमें कांग्रेस को बिछिया, निवास, डिंडोरी, केवलारी और लखनादौन पर सफलता मिली तो गोटेगांव, शहपुरा और मंडला पर कमल खिला। इसी प्रकार खरगोन लोकसभा में कुल आठ सीटों पर पांच पर पंजा मजबूत रहा। तीन सीटों बीजेपी के खाते में गईं। छिंदवाड़ा की सभी सात सीटों पर बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी। धार लोकसभा सीट पर आठ में पांच पर कांग्रेस और ग्वालियर और भिंड लोकसभा में भी चार-चार विधानसभा सीटों पर दोनों ही पार्टियों को संतोष करना पड़ा। हालांकि हारी हुई सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दौरा किया।

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बीजेपी भी इन सीटों को लेकर 51 प्रतिशत वोट हासिल करने के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है। युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया का कहना है कि कांग्रेस उन सीटों पर भी उतना ही फोकस करेगी जितना हारी हुई सीटों पर कर रही है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी पूरी ताकत के साथ सभी सीटों पर जोर लगाएंगे। किसी भी सीट को मजबूत और कमजोर समझने की भूल इस बार कांग्रेस नहीं करेगी। उधर, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सतेंद्र कुमार जैन का मानना है कि बीते लोकसभा चुनाव में भी कमल खिला था। इस बार भी सभी 29 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए संगठन जुटा हुआ है। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों के मुद्दे भी अंतर पड़ता है। मोदी सरकार की 500 से ज्यादा जन कल्याणकारी योजनाओं को देख प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर जनता कमल खिलाने तैयार है।

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