रायपुर। कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस कर सांसद विजय बघेल पर धान खरीदी पर कई आरोप लगाते हुए मुख्य निर्वाचन आयोग से निर्वाचन को निरस्त किए जाने की मांग की थी. जिस पर सांसद विजय बघेल का कांग्रेसियों के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेसियों का आरोप खोदा पहाड़ निकली चुहिया के अलावा कुछ नहीं है.
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, कांग्रेस संचार विभाग के सदस्य आरपी सिंह ने पत्रकारवार्ता में कहा था कि धान खरीदी के आंकड़े निकालने से बड़ी-बड़ी जानकारियां निकलकर आ रही है. एक ओर केन्द्र सरकार के आगे छत्तीसगढ़ के किसानों का पक्ष 9 भाजपा सांसदों में से एक भी ने नहीं रखा. प्रदेश के भाजपा नेता लेकिन न केवल समर्थन मूल्य पर धान बेचते रहे बल्कि 2500 रुपए में भी धान बेचा और राजीव गांधी न्याय योजना का भी लाभ उठाया. एक ओर निर्वाचन नामांकन पत्र के साथ दिये गये शपथ पत्र में गलत जानकारी भरते है जिसकी शिकायत दुर्ग लोकसभा के एक जागरूक मतदाता अश्वनी साहू ने की है, जो तीन बार के ग्राम पतोरा के सरपंच निर्वाचित हुए है. साहू संघ के अध्यक्ष है और पाटन ब्लाक के कांग्रेस की जोन कमेटी के प्रमुख है.
सरकारी धान खरीदी योजना में धान बेचने वाले भाजपा नेताओं की सूची तैयार करने से ही यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिये विजय बघेल की लोकसभा सदस्यता समाप्त किया जावे और आवश्यक वैधानिक कार्यवाही कर भविष्य में चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए. भाजपा के लोकसभा सदस्य विजय बघेल ने अपनी घोषित कृषि भूमि के अतिरिक्त भूमि से जो भी राशि प्राप्त की है धान बिक्री से, बोनस और राजीव गांधी न्याय योजना से, उसे शासकीय कोष में जमा करें.
सांसद विजय बघेल ने कांग्रेस ने आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि चुनावी शपथ पत्र में कृषि भूमि को साजिश के तहत छिपाया गया है. सांसद विजय बघेल ने लोकसभा चुनाव में कृषि भूमि 1.35 हेक्टेयर दर्शाया है, जबकि ताजा परिस्थितियों में विजय बघेल ने 16.65 एकड़ रकबे का 249 क्विंटल धान उन्होंने बेचा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेसी इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाकर अपनी खीज निकाल रहे है. उनका कहना था कि मैं मानता हूं कि मेरी माता जी के नाम से ज़मीन थी और 2018 में उनकी मृत्यु के उपरांत जो फौती की प्रक्रिया होती है, उसमें ये जमीन हस्तांतरित हुई.
सांसद बघेल बताया कि उनके बड़े भाई थे जिनकी मृत्य 2008 में हो गई थी उसके बाद घर का मुखिया मैं खुद हूँ. वही मेरी 4 बहनें है एक छोटा भाई और बड़े भैया का बेटा है. हम सभी के नाम से यह जमीन धान बेचने के दौरान पटवारी के माध्यम से सोसायटी में गई वहीं जब मैंने 2019 में लोकसभा का नामांकन भरा था, तो फार्म में ऐसा कोई कॉलम नहीं था कि सामूहिक संपत्ति का ब्यौरा देना पड़े. लोकसभा के नामांकन में मैंने अपनी मेरी पत्नी और बेटे की संपत्ति का ब्यौरा दिया था. वही वित्तीय वर्ष 2019 में रिटर्न फाइल करते वक्त सामुहिक संपत्ति से प्राप्त होने वाली आय का ब्यौरा इसलिए दिया चूंकि यह अब माता की मृत्यु के बाद मेरे और परिवार के सदस्यों के नाम पर हस्तांतरित हो गई है. इसीलिए कांग्रेसियों ने जो आरोप लगाया है. वो राजनीतिक दुर्भावना के अलावा कुछ भी नहीं है. उनका यह आरोप खोदा पहाड़ और निकली चुहिया की तरह है क्योंकि इसमें कोई तथ्यात्मक जानकारी नहीं है.
इस आरोप से मेरे समर्थकों की भावना आहत हुई है जिसे लेकर मैं अपने ऊपर आरोप लगाने वाले कांग्रेसियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करूँगा. इस बारे में मैं अपने वकील से भी राय ले रहा हूँ जल्द ही इस पर कोई कदम उठाया जाएगा. जिससे कि अनर्गल रूप से आरोप लगाने वाले भविष्य में इस तरह की कोई हरकत ना करे.