नई दिल्ली. जयपुर में रविवार को हुए ड्रामे से लगता है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने वही गलती की है, जो पंजाब में हुई थी, लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि विधायक पंजाब से इतर आलाकमान के खिलाफ जाएंगे. राजस्थान के विधायकों के बगावत का कारण ये है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों के साथ रहे हैं और 2020 के संकट के बाद से उन्हें एक साथ रखा है. जबकि पंजाब में ऐसा नहीं था. पंजाब में गार्ड ऑफ चेंज सुचारू था क्योंकि अमरिंदर सिंह ने विरोध नहीं किया और सीधे इस्तीफा दे दिया था, लेकिन जयपुर में दिग्गजों ने प्रतिद्वंद्वी खेमे पर काबू पा लिया, जिन्होंने सोचा था कि विधायक आलाकमान की बात मानेंगे.
राजस्थान में राजनीति ने रविवार को एक नया मोड़ ले लिया, जब गहलोत के कट्टर समर्थक लगभग 90 विधायक राज्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर इकट्ठा हुए, ताकि सचिन पायलट को अपना उत्तराधिकारी चुनने की दौड़ से बाहर करने की रणनीति तैयार की जा सके.
जिन्होंने सरकार बचाई उनमें से हो नया सीएम- खाचरियावास
राज्य मंत्री प्रताप खाचरियावास ने कहा कि हमें अपना नेता चुनने का पूरा अधिकार है और हम अपना नेता तय करेंगे. अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो ये विधायक विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी को अपना इस्तीफा सौंप देंगे. खाचरियावास ने कहा कि उनकी एक ही मांग है कि नया मुख्यमंत्री उन 101 विधायकों में से हो, जिन्होंने बगावत के दौरान सरकार बचाने में मदद की थी, न कि उन लोगों से जो बागियों का हिस्सा थे.
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