शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर मचे बवाल में आए दिन नए-नए पेच फंसते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान फैसले के बाद अब इस पर राजनीतिक घमासान भी छिड़ गया है, जहां बीजेपी, कांग्रेस पर आरोप लगा रही है कि, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर ओबीसी का रिजर्वेशन खत्म करा दिया है, तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि, मध्यप्रदेश सरकार की नाकामी के चलते यह हालात बने है। कांग्रेस का कहना है कि, अगर बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी का पक्ष सही ढंग से रखा होता तो आज ये हालात नहीं बनते।

याचिकाकर्ता के वकील वरुण ठाकुर का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला मध्यप्रदेश सरकार की विफलता का परिणाम है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को समझाने की कोशिश ही नहीं की गई कि, मध्यप्रदेश में ओबीसी का आरक्षण 50 परसेंट से ऊपर नहीं जा रहा है, लिहाजा वह ओबीसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जो स्टे दिया है वह न्याय संगत नहीं है।

सरकार ने कोर्ट में नहीं रखा मजबूती से पक्ष
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का भी कहना है कि फैसला मध्यप्रदेश सरकार के संदर्भ में है। यानी सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश सरकार ने मजबूती से अपना पक्ष नहीं रखा जिसकी बदौलत ये हालात बने हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी फैसले को गलत तरीके से प्रचार कर रही है। उनका कहना है कि, उन्होंने ओबीसी बेस पर कोई पैरवी नहीं की, बल्कि हमने रोटेशन और डिटरमिनेशन की बात की। हमने संविधान के आधार पर ही पैरवी की, सुप्रीम कोर्ट का फैसला महाराष्ट्र केस के आधार पर है, जिस सरकार को अपना पक्ष रखना था।

महाराष्ट्र केस के आधार पर फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में निकाय चुनाव को लेकर ओबीसी की सीटों पर इसलिए स्टे लगाया था क्योंकि वहां पर आरक्षण 50 फीसदी से ऊपर जा रहा था। महाराष्ट्र सरकार ने निकाय चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण के हिसाब से सीट दी थी। इसी को लेकर वहां पर सुप्रीम कोर्ट में केस लगाया गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि निकाय चुनाव ओबीसी सीट पर नहीं किए ना सकते। इसी आधार पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव को फैसला सुनाते हुए ओबीसी सीटों को स्टे कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, मध्यप्रदेश सरकार और इलेक्शन कमीशन पहले पंचायत चुनाव की ओबीसी सीटों को जनरल में कन्वर्ट कराएं उसके बाद नया नोटिफिकेशन जारी करके पंचायत चुनाव कराया जाए।