दिल्ली-NCR में बढ़ता वायु प्रदूषण केवल इंसानों ही नहीं, बल्कि बेजुबान जीवों की ज़िंदगी पर भी भारी पड़ रहा है। जहरीली हवा के चलते कई पशु-पक्षी गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से इन बेजुबानों की सांसें तक थमने लगी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में मौजूद जहरीली गैसों के कारण पक्षियों का श्वसन तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका सीधा असर उनकी उड़ान क्षमता पर पड़ रहा है, जिससे उन्मुक्त आसमान में ऊंची परवाज़ भरना उनके लिए कठिन होता जा रहा है।

प्रदूषण से आंखों में जलन बढ़ने के कारण उन्हें भोजन तलाशने में भी दिक्कतें आ रही हैं, जिसके चलते कई पक्षियों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषण का यह असर उनकी दैनिक गतिविधियों और प्रजनन चक्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से पक्षियों की प्रजनन क्षमता पर भी गहरा असर पड़ सकता है, जिसका परिणाम उनकी आबादी में गिरावट के रूप में दिखाई दे सकता है। चिकित्सकों के अनुसार, प्रदूषण के कारण कई पक्षी कोराइजा नामक संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। इस बीमारी में आंखों में सूजन और संक्रमण बढ़ जाता है, जिससे पलकें चिपक जाती हैं और पक्षियों की दृष्टि कमजोर हो जाती है। आंखों से लगातार स्राव होने से उनकी परेशानी और बढ़ जाती है। प्रदूषण स्तर बढ़ने के बाद पक्षियों के अस्पतालों में बीमार पक्षियों की संख्या noticeably बढ़ी है। इनमें आंखों के संक्रमण से लेकर श्वसन संबंधी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ रही हैं।

अरावली और नीला हौज जैव विविधता पार्क के साइंटिस्ट-इन-चार्ज डॉ. शाह हुसैन के अनुसार, प्रदूषण का असर इंसानों की तरह ही पक्षियों के फेफड़ों पर भी गहराई से पड़ता है। पक्षियों के फेफड़े बेहद नाजुक होते हैं, जिसकी वजह से वे प्रदूषित हवा के प्रभाव को अधिक तेजी से झेलते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण का दुष्प्रभाव छोटे कीड़े-मकोड़ों और कीट-पतंगों पर भी दिखाई दे रहा है, जो पक्षियों के प्रमुख भोजन स्रोत हैं। ऐसे में प्रदूषण का असर केवल पक्षियों पर ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है और उसका संतुलन बिगड़ता जा रहा है।

पशु-पक्षी चिकित्सालयों में पिछले 15 दिनों के दौरान घायल और बीमार पक्षियों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अकेले धर्मार्थ चिकित्सालय में इस समय 200 से 250 पक्षियों का इलाज चल रहा है। चिकित्सकों के अनुसार रोजाना 10 से 12 नए घायल पक्षियों को वहाँ लाया जा रहा है। यही हाल वन्यजीवों का भी है, जिनमें बंदरों की संख्या सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण का असर पशु-पक्षियों के वयस्क होने की प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है, जिससे उनके स्वास्थ्य और व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है। घायल या बीमार होकर अस्पताल पहुंचने वाले पक्षियों में कोयल, कबूतर, चील, कौवा और तोते प्रमुख हैं।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m

देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक

लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें

खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक