सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। ग़रीब विद्यार्थियों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम का लाभ नहीं मिल रहा है. शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के तीन माह बाद भी निजी स्कूलों में आरक्षित 83000 सीटों में से महज 40 फीसदी सीटें भर पाई है. शेष सीट पर भर्ती के लिए दूसरे चरण की प्रक्रिया जारी है.

शिक्षा सचिव डॉक्टर कमलप्रीत सिंह ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों में बच्चों में प्रवेश के लिए प्रथम चरण की लॉटरी निकाली गई है. शिक्षा के अधिकार के तहत कुल 83 हज़ार सीट है, इनमें 33 हज़ार विद्यार्थियों का निजी स्कूलों में दाख़िला कराया गया है. दूसरे चरण के लिए प्रक्रिया जारी है. जो पालक आवेदन नहीं कर पाए हैं, वो अभी भी आवेदन कर सकते हैं. हमारा लक्ष्य शत-प्रतिशत ग़रीब बच्चों को प्रवेश दिलाना है.

प्रवेश के लिए निर्धारित लक्ष्य को अब तक हासिल नहीं कर पाने के सवाल पर शिक्षा सचिव ने कहा कि इसके कई कारण हैं, जिसके वजह से सीट ख़ाली रह जाती हैं. कुछ ऐसे स्कूल हैं, जहां सभी पालक आवेदन कर देते हैं. हर एक स्कूल में 25 प्रतिशत का ही प्रावधान है, उसके बाद उनके आवेदन रद्द हो जाते हैं. वही नियम क़ानून के बंधन को लेकर कहा कि नियम-कानून केंद्र से बना हुआ है, उसका पालन करा रहे हैं.

शिक्षा सचिव ने कहा कि नियम-क़ानून की वजह से प्रवेश लेने में वंचित होने की लिखित शिकायत मिले तो हम सर्वे से होने वाली समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार को अवगत कराएंगे, जिससे नियमों में संशोधन किया जा सके. वहीं तीन माह बीत जाने के बाद भी प्रवेश प्रक्रिया संपन्न नहीं होने को लेकर विद्यार्थियों के पढ़ाई में पिछड़ जाने के सवाल पर कहा कि प्रवेश के बाद विद्यार्थियों का रिवीज़न कराकर पिछड़े कोर्स को कवर किया जाएगा. इसके लिए रणनीति तैयार है.

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ग़ौरतलब है कि ये स्कूल खुलते ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत विद्यार्थियों को प्रवेश करना होता है. लेकिन स्कूल खुलने के तीन माह बाद भी अब तक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. चौंकाने वाली बात यह की आज तक प्रदेश में शत-प्रतिशत प्रवेश एक भी सत्र में नहीं हुए हैं. हर साल धीरे-धीरे प्रवेश की संख्या गिरती जा रही है, जो योजना के उद्देश्य को पतीला लगा रहा है.

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