कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव के माध्यम से 8000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए हैं। खास बात यह है कि ग्वालियर में उद्योग स्थापित करने में सबसे अधिक रुचि चमड़ा और चूड़ी उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों ने दिखाई है। नोएडा, हरियाणा के बहादुरपुर, उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद और विशेष रूप से आगरा के उद्योगपतियों ने अपने उद्योगों को यहां से शिफ्ट कर ग्वालियर में इंडस्ट्री स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की है। यदि यह योजना सफल होती है, तो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र को आर्थिक रूप से मजबूती मिलने के साथ ही रोजगार के व्यापक अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
दरअसल, ग्वालियर से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित आगरा में चमड़ा उद्योग बड़े पैमाने पर संचालित होता है। हाल ही में ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाए गए नए नियमों के चलते ताजमहल के 120 किलोमीटर के दायरे को ताज ट्रेपीजियम जोन (टीटीजेड) यानी संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में मथुरा, फिरोजाबाद और एटा के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र शामिल हो गए हैं, जहां कई उद्योग स्थापित हैं। आगरा में जहां चमड़ा उद्योग प्रमुख है, वहीं फिरोजाबाद में कांच और चूड़ी बनाने के बड़े उद्योग स्थित हैं। टीटीजेड के कारण इन जिलों में न तो पुराने उद्योगों का विस्तार हो पा रहा है और न ही नए निवेश आ रहे हैं, जिससे वहां के उद्योगपति ग्वालियर शिफ्ट होने की तैयारी कर रहे हैं।
आंकड़ों पर डालें नजर
- फुटवियर सेक्टर: 6000 यूनिट्स के साथ लगभग 15000 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर।
- चमड़ा सेक्टर: 2000 यूनिट्स के साथ लगभग 3000 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर।
- ऑटो पार्ट्स और आयरन कास्टिंग: 300 यूनिट्स के साथ लगभग 1000 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर।
- हस्तशिल्प सेक्टर: 500 यूनिट्स के साथ लगभग 1000 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर।
- प्लास्टिक दाना प्रोडक्ट सेक्टर: 100 यूनिट्स के साथ लगभग 600 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर।
- पैकेजिंग प्रिंटिंग सेक्टर: 200 यूनिट्स के साथ लगभग 400 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर।
इन क्षेत्रों में लागू किए गए कठिन और सख्त नियमों के चलते अकेले आगरा से ही बड़े उद्योग ग्वालियर में शिफ्ट हो सकते हैं। इसके अलावा, फिरोजाबाद, एटा, बहादुरपुर, नोएडा सहित अन्य क्षेत्रों से भी यदि उद्योग शिफ्ट होते हैं, तो ग्वालियर में बड़े पैमाने पर निवेश आने के साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
MPIDC के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रतुल सिंह का कहना है कि इन उद्योगपतियों के साथ लगातार संपर्क किया जा रहा है। हाल ही में ग्वालियर रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से इन उद्योगपतियों के संगठनों की मुलाकात कराई गई थी, जिससे ग्वालियर को जल्द ही एक बड़ा निवेश प्राप्त हो सकता है।
वहीं, ग्वालियर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल का मानना है कि इस कॉन्क्लेव के माध्यम से ग्वालियर में बड़ा निवेश आया है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और स्थानीय किसानों को भी बड़ा फायदा होगा।
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गौरतलब है कि ग्वालियर रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव के माध्यम से कई बड़े निवेश प्रस्ताव आए हैं। ग्वालियर के 120 किलोमीटर दूर स्थित क्षेत्र में लागू किए गए कड़े प्रतिबंधों का फायदा ग्वालियर को मिलने की पूरी संभावना है। ग्वालियर, जो इतिहास में एक प्रमुख उद्योग नगरी के रूप में जाना जाता था, अब एक बार फिर उस पहचान को पुनः प्राप्त करता हुआ नजर आ रहा है।
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