कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल (Gwalior) में बड़े नेताओं के ढलती उम्र के बेटे भी सियासत (Politics) में आने के लिए तैयार है। चुनावी सियासत में उनकी एंट्री मुश्किल हो रही है। इसकी मुख्य वजह पीएम मोदी (PM Modi) है। वे साफ कर चुके हैं कि नेता पुत्र को राजनीति में टिकट नहीं दी जाएगी। अगर नेता अपने पुत्र को राजनीति में लाना चाहते हैं तो खुद को चुनावी मैदान छोड़ना होगा। यह उन कद्दावर नेताओं के लिए आसान नहीं है।
वहीं दूसरी ओर लोगों के बीच अपने चेहरे को प्रमोट करने नेता पुत्रों के पोस्टर (Poster) चर्चाओं में हैं। 2023 का यह साल राजनीतिक मायनो में बहुत महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि ग्वालियर शहर भर में अलग-अलग जगहों पर नेता पुत्रों के जन्मदिन (Birthday) की बधाई वाले पोस्टर सियासी चर्चाओं में है।
इन बड़े नेताओं के बेटे सियासत की डगर पर चलने के लिए कतार में है
- ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे 27 साल के महान आर्यमन सिंधिया सियासत में आने को तैयार
- केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे 38 साल के देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर राजनीति में आने को तैयार
- सांसद विवेक शेजवलकर के बेटे 42 साल के प्रांशु शेजवलकर राजनीति में आने को तैयार।
- पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे 40 साल के तुषमुल झा सियासत में आने को बेकार है।
- ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बेटे 22 साल के रिपुदमन सिंह भी पिता की सियासत में हाथ बंटा रहे।
- नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा भी सियासी पारी में खुल कर उतरने को तैयार है।
- पूर्व मंत्री माया सिंह के बेटे पीताम्बर सिंह भी सियासत में एक्टिव है, ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ भी मिला हुआ है।
नेता पुत्रों की सियासत में एंट्री की राह इसलिए आसान नही है, क्योंकि पीएम मोदी साफ कर चुके हैं कि नेता पुत्र को राजनीति में टिकट नहीं दी जाएगी। अगर नेता अपने पुत्र को राजनीति में लाना चाहते हैं तो खुद को चुनावी मैदान छोड़ना होगा। जो इन नेताओं के लिए अभी आसान नहीं। बीजेपी से मंत्री OPS भदौरिया का कहना है कि निश्चित रूप से जो लोग समाज सेवा करते हैं, पार्टी के लिए समय देते हैं। उनका अधिकार बनता है। उनको राजनीतिक मान्यता मिलना चाहिए। मैं इस बात का समर्थन करता हूं। लेकिन पार्टी की परंपरा है कि एक समय में एक व्यक्ति राजनीति में रहे और सिंधिया परिवार ने इस परंपरा का निर्वाह किया है। सभी नेताओं को भी इस परंपरा का पालन करना चाहिए। जिससे विपक्ष को आलोचना करने का मौका नहीं मिलेगा।
इधर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का दावा है कि BJP के नेताओं में असुरक्षा का भाव है। भाजपा के नेताओं में बेटों को स्थापित करने के लिए कोल्ड वार चल रहा है। पीएम मोदी कह चुके है कि नेता पुत्रों को टिकिट नही देंगे, लेकिन अब नेता पुत्रों में पोस्टर वार भी शुरू हो गया है। लाखों रुपये पोस्टर में खर्च कर रहे हैं। इससे साफ है बीजेपी के नेताओं की गुटबाजी सामने आ रही है। इसका लाभ कांग्रेस (Congress) को मिलेगा।
बहरहाल अब सवाल यही उठता है कि क्या बीजेपी अपने एक परिवार एक टिकट के फॉर्मूले (Ticket Formula) पर कायम रहेगी या फिर अच्छा काम करने वाले नेता पुत्रों को चुनाव में मौका देगी। सवाल यह भी है कि क्या बीजेपी के बड़े नेताओं में अपने बेटों को स्थापित करने के लिए कोल्ड वार (Cold War) चल रहा है। जो भी हो इस चुनावी साल में भाजपा के लिए चुनाव में टिकट बांटना एक चुनौती रहेगा। क्योंकि पुरानी भाजपा और नई भाजपा के नेता पुत्र टिकट के लिए अभी से जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं।
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