रिपोर्ट- दिलशाद अहमद, सूरजपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के विकास के दावों की हकीकत सूरजपुर जिले में देखने को मिल रहा है। विकास का दम भरने वाली सरकार के पास सूरजपुर के 5 ब्लाक के अस्पतालों में एक अदद पोस्टमार्टम कक्ष नहीं है। जिससे ग्रामीणों के शव का पीएम खुले में नदी किनारे किया जाता है।

पिछले पांच महीने से यहां शवों का खुले में पीएम हो रहा है और प्रशासन है कि तमाशबीन बना हुआ है। हद तो तब हो गई जब देर रात सड़क हादसे में मृत महिला के शव को छिंदिया नाला के किनारे खुले आसमान के नीचे पीएम के लिए लाया गया।

उसी दौरान बारिश होने लगी। लगभग दो घंटे तक शव बारिश में भीगता रहा। बारिश रुकने पर कीचड़ से सने रास्ते से परिजन जैसे-तैसे शव को झाडिय़ों के बीच लेकर गए, तब जाकर पीएम हो सका।

सड़क, बिजली, पानी और तमाम तरह की शासकीय योजनाओं पर तत्काल राशि स्वीकृत कर लाखों रुपए फूंके जाते है, लेकिन अस्पताल में पोस्टमार्टम कक्ष बनाने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है। इस प्रशासनिक उदासीनता के कारण पिछले पांच महीने से इंसान के शवों की दुर्दशा हो रही है। मानवता दिनदहाड़े शर्मसार हो रही है लेकिन जिम्मेदार विभाग मौन बैठा है।

वहीं जिला प्रशासन 5 ब्लॉक में पीएम कक्ष के लिए राशि मांगी थी, जिसकी स्वीकृति पूर्व कलक्टर ने की थी। लेकिन नए कलक्टर ने रामानुजनगर को छोड़कर चार पूर्व स्वीकृति निरस्त कर दी ।

ऐसे में जब तक पीएम कक्ष नहीं बन जाता, खुले में ही अपनों के शव को इस तरह चीर-फाड़ करते देखना परिजनों की मजबूरी है। हालांकि इस मजबूरी का दर्द न तो शासन समझता है और न ही प्रशासन।

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