
अंबिकापुर. अंबिकापुर जिले के गोठानों में मुर्गीपालन से समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ यहां के अंडों को आंगनबाड़ी केंद्र में आपूर्ति होने पर बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध हो रहा है, जिससे कुपोषण मोचन के लिए बड़ा जरिया बन गया है. 7 गोठानों में मुर्गीपालन कर 3 महीने में ही स्व.सहायता समूह की महिलाओं ने 8 लाख 40 हजार रुपए के अंडे बेचकर आय अर्जित की है.
कलेक्टर संजीव कुमार झा के मार्गदर्शन में जिले के 7 आदर्श गोठानों में आधुनिक पद्धति से समूह की महिलाओं द्वारा मुर्गीपालन किया जा रहा है. पशु चिकित्सा विभाग ने महिलाओं को थ्री टियर केज पद्धति से मुर्गीपालन का प्रशिक्षण दिया गया है और प्रत्येक गोठान में 250 नग मुर्गी भी प्रदाय की गई है. अंबिकापुर जनपद में आदर्श गोठान सोहगा व मेण्ड्रा कला, उदयपुर में सरगवां, लखनपुर में पुहपुटरा, बतौली में मंगारी, मैनपाट में उडुमकेला और लुंड्रा में बटवाही गोठान में महिलाओं द्वारा मुर्गीपालन का कार्य किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ेंः एक बार फिर इंडिया के लिए खेलते नजर आएंगे युवराज, जानिए कब हो रही है क्रिकेट में वापसी …
अक्टूबर से दिसंबर तक तीन महीने में एक गोठान में 20 हजार अंडे का उत्पादन हुआ इस हिसाब से 7 गोठानों में तीन महीने में 1 लाख 40 हजार अण्डां का उत्पादन हुआ. प्रति अंडे 6 रुपए के दर से आंगनबाड़ी केंद्रों को बेचा गया. जिससे 8 लाख 80 हजार रुपए का आय अर्जित हुई. इस प्रकार प्रत्येक गोठान में हर माह 20 हजार रुपए के अंडे बेचे गए.
इसे भी पढ़ेंः कोविड के कारण कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव स्थगित, 7 से 14 जनवरी के बीच होना था आयोजन …
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सी.के. मिश्रा ने बताया कि मुर्गीपालन हेतु भवन का निर्माण मनरेगा से किया गया है जबकि मुर्गियों के लिए आहार और दवा की व्यवस्था डीएमएफ से किया गया है. तकनीकी रूप से मुर्गीपालन हेतु प्रशिक्षण और देख-रेख का कार्य पशुपालन विभाग द्वारा किया जा रहा है.
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक