‘इंस्पेक्शन’
तत्कालीन सरकार में दिए गए ठेकों को देख ताजी-ताजी पोस्टिंग पाए अफसरों का माथा ठनक गया है. अफसर अपनी गुंजाइश ढूंढ रहे हैं. पिछले दिनों की बात है. एक निर्माणाधीन सरकारी इमारत में इंस्पेक्शन के नाम पर इंजीनियरों की एक टीम पहुंच गई. इस टीम की अगुवाई एक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर कर रहे थे. इंस्पेक्शन करते हुए टीम ने एक-एक कर खामियां निकालनी शुरू कर दी. ठेकेदार को उनका इरादा समझते देर नहीं लगी. दो टूक कह दिया कि ठेका मिलते ही सबका हिस्सा पहुंचा दिया है. इंस्पेक्शन करने पहुंची टीम ने कहा, यह बात पुरानी हो गई है. सरकार नई है. व्यवस्था बदल गई है. निर्माण इकाई के प्रमुख नए-नए हैं. भूखे आए हैं. पेट तो भरना होगा. एक ने समझाने की पुरजोर कोशिश की. शायद वह कहना चाहते थे कि सरकारी व्यवस्था में अफसर मलाईदार पोस्टिंग पाते ही अपने आप को कुपोषित बताने लगते हैं. ठेकेदारों की ही जिम्मेदारी होती है कि उनके पोषण का ध्यान रखें. यहां हट्टे-कट्टे, मोटे-चौड़े, भारी-भरकम और चेहरे पर चमक रखने का मतलब कतई नहीं है कि वह कुपोषित नहीं हैं. कुपोषण दिमागी है, जिसका पोषण सिर्फ हरे-हरे नोट खाकर ही हो सकता है. ठेकेदार का सिर घूम गया. इस बीच हालात बिगड़ते चले गए. नौबत हाथापाई की आ गई. ठेकेदार का रसूख रहा होगा, जिससे उसने इंस्पेक्शन करने आए अफसरों के खिलाफ पुलिस में जाने की धमकी देने का दुस्साहस कर दिया. टीम लौट गई. इधर ठेकेदार के हाथ-पांव फूल रहे हैं. कहीं उसे लेने के देने न पड़ जाए.
पाॅवर सेंटर : ‘ढिंढोरा’…’सिपलसलार’…’अहाता’…’कौन बनेगा मंत्री’…’रोशन’…- आशीष तिवारी
‘जोड़ी’
सरकार में मंत्रियों के मुकाबले उनके ओएसडी- पीए का सीना ज्यादा चौड़ा होता है. मंत्रियों तक हर किसी की पहुंच नहीं हो पाती. ओएसडी-पीए ही आम जनता के मंत्री हो जाते हैं. हुजूर ही शोषित-पीड़ित तबके की अर्जी लेते हैं. इन अर्जियों में से किस-किस को मंत्री तक पहुंचाना है, यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है. बड़ा पावरफुल ओहदा है भाई. खैर, इस बीच एक अद्भुत संयोग का पता चला है. सूबे में अपने कारनामों से खूब नाम कमा रहे एक मंत्री के ओएसडी की पत्नी सरकार में दूसरे मंत्री की पीए बन गई. इनका मूल विभाग रेवेन्यू डिपार्टमेंट है और ओहदा पटवारी का है. बताते हैं कि उन्हें मंत्री का पीए बनाए जाने का आदेश अपर कलेक्टर ने जारी कर दिया. अब यह आदेश किस नियम कायदे से जारी किया गया, यह सरकार समझे. बहरहाल यह मामला पति-पत्नी राजी तो क्या करेगा काजी वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है. पति-पत्नी की रुचि मंत्रियों के अधीन रहने की रही होगी. जहां रुचि हो, वहां रास्ते बन ही जाते हैं.
पॉवर सेंटर : ‘तिलिस्मी अंगूठी’…’खिसकी जमीन’…’पगडंडी’…’गुलजार’…’पोस्टिंग’…’अदावत’…- आशीष तिवारी
‘नजर-ए-नुमाइश’
बात मंत्रियों के पीए की चल रही है, तो यह किस्सा भी नजर-ए- नुमाइश के लिए पेश है. ‘पाॅवर सेंटर’ के इस स्तंभ में ही हमने बताया था कि एक मंत्री का पूरा विभाग सब इंजीनियर स्तर का अफसर चला रहा है. बात फूटी तो अब इसकी कलई खुल रही है. मालूम पड़ा है कि सब इंजीनियर पिछली सरकार में एक प्रभावशाली मंत्री के ओएसडी रह चुके शख्स का भतीजा है. सब इंजीनियर का मूल विभाग कुछ और ही है. पिछली सरकार के दिनों में ‘चाचा’ ने भतीजे का ख्याल रखते हुए तत्कालीन मंत्री के विभाग के अधीन एक कारपोरेशन में प्रतिनियुक्ति पर बुला लिया था. सरकार बदली, जगह वही रही. सब इंजीनियर गोते खाते-खाते मंत्री की नाव में सवार हो गया. सवार तो हुआ ही, पतवार भी खुद ही संभाल ली. अब नाव गोता खाने लगी है. पता नहीं यह नाव कहां जाकर डूबेगी. नाव में गहरा छेद हो गया है.
‘लटक गया!’
2008 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ‘तिलिस्मी अंगूठी’ (11 मई का काॅलम पढ़ें) पहन ही लेनी चाहिए. शायद ग्रह नक्षत्र ठीक हो जाए. पता नहीं कौन सी अड़चन आ खड़ी हुई है कि बार-बार उनका आईएएस प्रमोशन लटक रहा है. अबकी बार फाइनल ग्रेडेशन लिस्ट रोड़ा अटका सकती है. इसकी वजह है कि ग्रेडेशन लिस्ट में नीचे से ऊपर किए गए दो नाम. ये नाम हैं तीर्थराज अग्रवाल और अजय अग्रवाल. 1 अप्रैल 2024 को जारी प्रोविशनल ग्रेडेशन लिस्ट में 2008 बैच की सीनियरिटी में क्रमश: अश्विनी देवांगन, डाॅ.रेणुका श्रीवास्तव, आशुतोष पांडेय, सौम्या चौरसिया(निलंबित), रीता यादव, लोकेश कुमार, आरती वासनिक, प्रकाश कुमार सर्वे, गजेंद्र सिंह ठाकुर, तनुजा सलाम, लीना कोसम, तीर्थराज अग्रवाल और अजय अग्रवाल के नाम शामिल थे, लेकिन महीने भर बाद यानी 14 मई 2024 को फाइनल ग्रेडेशन लिस्ट जारी की गई. इस ग्रेडेशन लिस्ट में तीर्थराज अग्रवाल और अजय अग्रवाल का नाम सिनियरिटी क्रम में ऊपर ला दिया गया. सिनियरिटी क्रम में अब उनका नाम पांचवे और छठवे पायदान पर है. जाहिर है राज्य प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के उन अफसरों के माथे पर बल पड़ रहा होगा, जो ग्रेडेशन लिस्ट में ऊपर थे. चर्चा तो यह भी है कि फाइनल ग्रेडेशन लिस्ट में अपना नाम नीचे पायदान पर देखने वाले अफसर कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. अगर ऐसा हुआ, तो मानकर चलिए कि पहले से ही लेटलतीफी की चोट खाए बैठे 2008 बैच के हिस्से एक बार फिर मायूसी हाथ लगेगी. बताते हैं कि पीएससी 2008 में जब नतीजे आए, तब तीर्थराज अग्रवाल और अजय अग्रवाल का नाम डिप्टी कलेक्टर की वेटिंग लिस्ट में शामिल था. अपनी सीनियरिटी को लेकर दोनों कोर्ट की दहलीज तक पहुंचे. सुनते हैं कि उनकी सीनियरिटी का यह मामला फिलहाल हाईकोर्ट में लंबित है. कोर्ट का आदेश आया नहीं, इधर शासन ने उन्हें सीनियर मान लिया. बहरहाल इस लेटलतीफी का नुकसान सरकार को भी है. प्रक्रिया जल्द पूरी होगी, तो सरकार को ज्यादा आईएएस अफसर मिलेंगे.
‘द्वंद’
लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही सूबे के मंत्रिमंडल में एक अहम बदलाव दिखेगा. साय कैबिनेट में मंत्री पद की एक कुर्सी खाली है. नतीजों के पहले ही वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा सीट से विजयी उम्मीदवार माना जा रहा है. जाहिर है एक और कुर्सी खाली होगी. मंत्री पद की दो रिक्त कुर्सी के लिए मारामारी के हालात हैं. लोकसभा चुनाव में बाल्टी भर-भर कर पसीना बहाने वाले विधायकों ने अपना-अपना दावा पेश कर दिया है. कुछ नए विधायक हैं, जो यह मानकर चल रहे हैं कि भाजपा के नए फार्मूले में वह भी फिट हो सकते हैं. इसमें कलाकार से लेकर पूजा-पाठ करने और करवाने वाले चेहरे शामिल हैं. सीनियर विधायकों की लंबी लिस्ट है. कुछ दिल्ली हो आए हैं और कुछ हैं जिनके लिए दिल्ली में लाबिंग तेज हो गई है. कुर्सी की लड़ाई आसान नहीं होती. ओटीटी पर एक सीरिज आई थी गेम्स आफ थ्रोन. जिसने देखी होगी वह जानते होंगे कि तख्त पाने की लड़ाई में कितनी कुर्बानियां देनी पड़ती है. सरकार में नए और प्रभावी मंत्री हैं, जो सीनियर विधायक को नहीं आने देना चाहते और सीनियर विधायक हैं कि कुर्सी के मोहपाश में अब तक फंसे दिखाई देते हैं. सीनियर विधायक अगर मंत्री बन भी गए, तो तय है कि कैबिनेट द्वंद के इर्द गिर्द चलती दिखेगी.
पाॅवर सेंटर : ‘सौ छेद’…’सैड’…’अमन चैन’…’मंत्री की ख्याति’…’एक साय ऐसे भी’…’पायलट’…- आशीष तिवारी