घेराबंदी
वैसे तो एग्जिट पोल के नतीजों ने कांग्रेस की बढ़त दिखाई है, लेकिन कई पोल ऐसे हैं, जिसमें नजदीकी मामला बनता दिख रहा है. अव्वल ये कि ऐसा होने की संभावना कम ही है और अगर संभावना बन भी गई, तो कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों दलों ने प्लान बी की तैयारी भी रखी ही होगी. बीजेपी ने मोदी-शाह की अगुवाई में यह चुनाव लड़ा है, जाहिर है हार मिलेगी, तो लोकसभा चुनाव के पहले बड़ा डेंट लगेगा. कैल्कुलेशन बिगड़ सकता है ना. बड़े नेता सोचते होंगे कि इतना जोर लगाने का कोई तो फायदा पार्टी के हिस्से आए. नहीं भी आए, तो गाहेबगाहे सुनी जाने वाली आपरेशन लोटस की चर्चा तो है ही. राज्य के बीजेपी नेताओं को मोटाभाई पर बड़ा भरोसा है. इधर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस भूपेश बघेल वाली कांग्रेस है. बीजेपी के मुद्दों को छिनकर सियासत के पिच पर चौका-छक्का लगाने वाले विराट बल्लेबाज की तरह खड़े दिखते हैं. सो कांग्रेस मुस्तैद है. सुना है कि कांग्रेस ने अपने उन विधायक प्रत्याशियों पर पैनी नजर रखी है, जिनका इमान डगमगा सकता है. चर्चा तो यहां तक है कि कुछेक विधायक प्रत्याशियों को पहले ही उनकी विधानसभा से उठवाकर सुरक्षित ठिकानों पर रख दिया गया है. घेराबंदी सिर्फ कांग्रेस के जितने वाले विधायकों की ही नहीं होगी, बीजेपी से भी खबर है कि जीतने वाले विधायकों को फौरन मुख्यालय आने के निर्देश भेज दिए गए हैं. नतीजों से डर तो सबको लगता है, फिर यहां तो मामला सरकार बनाने का है.
चार्टर्ड प्लेन
इधर नतीजे आए नहीं, उधर करीब हफ्ते भर से यह माहौल बन गया है कि तीन चार्टर्ड प्लेन बुक कर लिए गए हैं. चर्चा में सुना गया है कि दो प्लेन कांग्रेस ने और एक बीजेपी ने बुक किया है. अब दोनों दलों के बड़े नेता इसे महज अफवाह बता रहे हैं, लेकिन यह तय है कि इस तरह की खबरे पूरी तरह अफवाह नहीं हो सकती. राजस्थान की स्थिति देख लीजिए. वहां नेता खुलकर बयान दे रहे हैं कि कर्नाटक में रिसार्ट बुक करा लिया गया है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी शिवकुमार ने भी अपने बयान में कहा है कि वह पांच राज्यों के विधायकों को संभाल सकते हैं. कर्नाटक के पहले छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों के कांग्रेस विधायकों का सुरक्षित ठिकाना बना था. अब कर्नाटक में डी शिवकुमार हैं. कांग्रेस हाईकमान के संकटमोचक. जाहिर है, कुछ तैयारी तो की ही गई होगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले दिनों दिल्ली दौरे पर गए थे. नतीजों के पहले घूमने फिरने तो गए नहीं होंगे. रणनीतिक चर्चा की ही होगी.
कोर्ट कचहरी
बीजेपी के एक नेता 18 आईएएस अफसरों के खिलाफ कोर्ट कचहरी खेलने में जुट गए हैं. चर्चा है कि इस नेता ने इन अफसरों के खिलाफ पीएमओ, डीओपीटी के साथ-साथ कुछ एजेंसीज में भी चिट्ठी पत्री लिखकर शिकायत दर्ज की थी. भ्रष्टाचार समेत कई संगीन आरोप लगाए गए थे. सुनते हैं कि पीएमओ ने इस शिकायत की जांच के लिए राज्य शासन को पत्र भी लिखा था, मगर कार्रवाई सिफर देख अब बीजेपी नेता कोर्ट कचहरी जाने मन बना चुके हैं. चर्चा में सुना गया है कि बीजेपी नेता सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत कोर्ट में अर्जी दायर कर न्यायालयीन हस्तक्षेप की मांग करने वाले हैं. अब सूबे के अफसरों ने ईडी-आईटी झेल रखा है. अफसरों के सामने किसी जांच वांच का जिक्र करो, तो अफसर बोल पड़ते हैं, डर के आगे जीत है.
बेरहम अफसर
जंगल विभाग के अफसरों का दिल उजड़ते जंगलों की तरह बंजर हो चला है. दिल हरा होता, तो जंगल सफारी में सिसकियों के साथ मरते जानवरों की कराहना उनकी धड़कनों की रफ्तार जरूर बढ़ा देती. इस हफ्ते 24 से ज्यादा जानवरों की मौत हो गई. जिम्मेदारी तय नहीं हुई. जानवरों की तबियत बिगड़ रही थी. डाॅक्टर छुट्टी पर गोवा घूम रहे थे. डीएफओ ने छुट्टी रद्द कर दी. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने व्हाट्स एप पर छुट्टी दे दी. डीएफओ ने छुट्टी पर जाने पर आपत्ति जताई. डाॅक्टर ने ऊपर के अफसरों की व्हाट्स एप पर मिली मंजूरी का स्क्रीन शाट भेज दिया. बात यहां तक खत्म नहीं हुई. डीएफओ ने चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को सरकारी चिट्ठी भेज प्रकरण की जानकारी साझा की. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डीएफओ पर ही फट पड़े. जंगल सफारी के जानवर मर रहे हैं. इधर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अपनी सीनियरिटी का परचम लहराने ट्रिब्यूनल में केस लड़ने में व्यस्त हैं. उधर जानवरों की सेहत दुरुस्त रखने का जिम्मेदार डाॅक्टर गोवा घूमने में मस्त है और विभाग है जो गैर जिम्मेदार अफसरों की तैनाती से त्रस्त है.
चुनावी चुटकुला
सब कह रहे हैं, मैं जीतूंगा-मैं जीतूंगा.
मगर लड्डू बनवाने का आर्डर कोई नहीं दे रहा…..