(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
चर्चाओं में 10 मिनट की बैठक
देश के नतीजे आए, प्रदेश में बीजेपी ने सभी 29 सीटों पर कमल खिलाया। दिल्ली के साथ बीजेपी प्रदेश कार्यालय में जश्न मना. यह सब तो आम है, लेकिन इसके बाद संघ कार्यालय में संघ पदाधिकारियों के साथ बीजेपी के एक नेता की बैठक हुई। उस समय तो कानों-कान इसकी किसी को जानकारी नहीं लगी, लेकिन अब यह चर्चा का विषय बन गया है कि नतीजों के बाद हुई बैठक सामान्य नहीं हो सकती। ये बैठक इस कारण भी चर्चा का विषय बनी हुई है क्योंकि देश में एनडीए की सरकार पर जोर है तो मंत्री पद का गुणा-भाग कितना कम-ज्यादा हुआ। कुल मिलाकर मंत्रिमंडल की तस्वीर साफ होने तक बैठक को लेकर चर्चा जारी रह सकती है।
थोड़ी सी जो पीली है, गाली ही तो दी है
मध्यप्रदेश के मंत्री मंडल में शामिल एक मंत्री जी का विभाग में खासा हड़कंप है। सुरा प्रेमी मंत्री जी जरा भीगने के बाद गरज-चमक के साथ अफसरों पर बरस जाते हैं। बीती सरकार में भी माननीय का मौसम ज्यादातर ऐसा ही रहा है। लेकिन, अब तो हद ही हो गई मानो। पहले तो कभी-कभी की बात थी, अब बरसने की रोज की आदत के वरिष्ठ अधिकारी तक परेशान हो गए हैं। उप संचालक से लेकर संचालक और निजी स्टॉफ भी रात 09 बजे के बाद मंत्री जी के फोन से थरथर कांप सा उठता है। भोपाल के ही छोटे महकमें के वरिष्ट चिकित्सक को लगातार मंत्री जी ने अपने देशी अंदाज में चमकाया। अफसरों का आपसी दर्द अब छोटे से विभाग में सार्वजनिक हो रहा है। माननीय जी, अफसरों की एकता कही आपको भारी न पड़ जाए।
जीतू के कथित इस्तीफे से पीसीसी रहा सकते में
आठ जून 2024, अचानक से कहीं से खबर आई कि दिल्ली में हुई बैठक में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। भोपाल में यह खबर मीडिया से अधिक प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में फैली। फिर क्या जिले-तहसीलों से भी फोन आने लगे और कथित खबर पर फर्जी मुहर लगती रही। पीसीसी में भी एक-दूसरे से बातचीत और फिर कयासों का दौर कि अब क्या होने वाला है। आखिर दिल्ली में मीडिया से हुई चर्चा में जीतू पटवारी ने स्पष्ट किया कि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते हार की जिम्मेदारी उन्होंने ली है। लेकिन इस्तीफा जैसी कोई बात ही नहीं है। यानी इस्तीफा की कहानी मनगढ़ंत रूप से फैलाई गई थी।
केंद्रीय मंत्री की कतार में सांसद और जुगाड़ में अफसर
इन दिनों मंत्रालय में हलचलों का दौर जारी है। यह भी सीनियर आईएएस अफसरों में हैं। कारण है कि मोदी का नया मंत्रिमंडल और मंत्रियों के स्टाफ में आईएएस अफसरों की आमद का सपना। वैसे केंद्रीय मंत्री मंडल की कतार में तीन दिग्गजों के संबंध भी अफसरों से अच्छे रहे हैं। लिहाजा टिकट वितरण के बाद से ही तब प्रत्याशी और अब तीन सांसदों के संपर्क में हैं। इतना ही नहीं बल्कि चुनावी दौर में अलग-अलग ऑफिसर्स लॉबी ने पर्दे के पीछे खूब साथ भी दिया। जाहिर सी बात है क्रिया की प्रतिक्रिया की तलाश में जुटे हैं। एक नहीं बल्कि आधा दर्जन अफसर बीते दिनों दिल्ली में भी आमद दर्ज करा चुके हैं। जल्द ही माननीयों के केंद्रीय मंत्रालय संभालते ही उन अफसरों के नाम भी आपके सामने होंगे।
सरकारी दफतर जैसा राजनैतिक पार्टी का हाल
सरकारी कार्यालयों में कार्यालय प्रभारी की मौजूदगी मतलब पूरा कार्यालय एक्टिव और मुखिया के मौजूद न रहने पर कार्यालय में सन्नाटा। दूर-दराज के क्षेत्रों में सरकारी कार्यालयों का अमूमन यही हाल रहता है। ऐसी ही कुछ तस्वीर मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दल के प्रदेश कार्यालय में देखने को मिल रही है। मुखिया मौजूद तो ऐसी हलचल कि आज-कल में ही चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मुख्यालय पर मुखिया के नहीं रहने पर बड़ी पार्टी का प्रदेश स्तरीय दफतर होने जैसा आभाष ही नहीं होता। खबर, है कि इस बात की जानकारी अब पार्टी के प्रदेश मुखिया को लग चुकी है. ऐसे में आने वाले समय में कसावट देखने को मिल सकती है।
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