
विधायक भी झुग्गी-झोपड़ी का प्रॉपर्टी टैक्स भर रहे
पिछले दिनों भोपाल नगर निगम के पार्षदों की प्रॉपर्टी का खुलासा हुआ. खुलासा यह था कि जिन इलाकों में पार्षदों के घर हैं, वहां प्रॉपर्टी टैक्स के रेट झुग्गी-झोपड़ी वाले हैं. लेकिन पार्षदों के मकान तीन-तीन मंजिला तने हैं. भोपाल में यह खबर काफी चर्चा का विषय रही. अब जो पार्षद आलीशान मकान में रहने वाले जो पार्षद झुग्गी-झोपड़ी वाला टैक्स जमा कर रहे हैं उनके बीच चर्चा इस बात को लेकर है कि ऐसे मामले अकेले पार्षदों के नहीं, बल्कि प्रदेश में कुछ विधायकों के भी हैं. हालांकि, ऐसे विधायकों के नाम सार्वजनिक करने से पार्षद कतरा रहे हैं. माना जा रहा है कि आने वाले समय में ऐसे नाम उजागर हो सकते हैं.
कैमरा आते ही तिकड़ी में होने लगता है कंपटीशन
मामला मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दल के प्रदेश कार्यालय का है, जहां प्रवक्तागण की दोस्ती में तिगड़ी की खूब जमती है. तीनों सदस्य ऊर्जावान होने से पार्टी कार्यालय में समय भी खूब देते हैं. कार्यालय में इनकी दोस्ती में खलल तब आ जाता है, जब मीडिया के कैमरे चालू होते हैं. कैमरा चालू होने की तैयारी होती है तो इनका कंपटीशन साफ-साफ झलकने लगता है. कई बार तो बीच में ही टोका-टाकी हो जाती है. हालांकि, कैमरा जाते ही दोस्ती फिर गहरी हो जाती है.
मंत्री जी की सीटिंग से परेशान स्टाफ
मध्य प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री और सबसे धनी नेताओं में गिने जाने वाले नेताजी की सेटिंग से उनका स्टाफ परेशान है. साहब जब वल्लभ भवन पहुंचते हैं और उसके बाद जब मीटिंग का दौर शुरू होता है तो कई घंटों तक ऑफिस में ही जमे रहते हैं. जिससे उनका स्टाफ परेशान हो जाता है. साहब के बारे में बताते चलें मंत्री जी दूसरे नेताओं के लिए आदर्श हैं और इसके साथ-साथ नेता जी की सुचिता के हर तरफ चर्चे हैं.
हार का दर्द, जनता से दूरी
मध्य प्रदेश कांग्रेस के एक दिग्गज नेता अब अपने इलाकें की जनता से दूरी बनाने लगे हैं, वजह है हार की टीस, अब इलाके की आवाम जब मिलने आती है तो कह देते हैं, आप लोग मुझे पसंद नहीं करते हो इसलिए अब हम नहीं मिलेंगे. यहीं नेताजी जब प्रदेश के मुखिया होते थे तो अलग से अपने क्षेत्र की जनता से मुलाकात करते थे. उसी जनता नेता जी को विधानसभा और संसद तक भी पहुंचाया, लेकिन अब चुनाव हारने के बाद से नेताजी को जनता बुरी लगने लगी है.
AICC से तेज चलने के चक्कर में निपट गए नेताजी !
मध्य प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता इतने उतावले हैं कि AICC से नियुक्ति पत्र जारी होने से पहले अपने समर्थकों से लोकल लेवल पर सोशल मीडिया के जरिये नियुक्ति पत्र वायरल करवा दिया. AICC डेलीगेट्स मामले में यहीं हुआ पीसीसी ने नामों की लिस्ट AICC को भेजी, लेकिन वहां से जारी होने से पहले लोकल लेवल पर ही खेल कर दिया गया. लिस्ट सामने आने के बाद मीनाक्षी नटराजन ने बवाल काट दिया. अब खबर है कि जिस नेता के चक्कर में ये सब घमासान हुआ, उसका नाम लिस्ट से उड़ाने वाला है.
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