(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

सौरभ शर्मा तो मोहरा है

ढ़ाई क्विंटल चांदी, 54 किलो सोना के साथ करोड़ों की नकदी और इससे अधिक के प्राॅपर्टी के कागजात मिलने के पीछे मुख्य किरदार अभी आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ही बताया जा रहा है. इधर लगातार कार्रवाई चल रही है, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा चल रही है कि सौरभ शर्मा तो सिर्फ मोहरा है, मुख्य किरदार दिग्गज राजनेता और अफसर हैं. सौरभ की डायरी से हर महीने सौ करोड़ का हिसाब मिलने के बीच ईडी की एंट्री हुई तो माना जा रहा है कि अब मामला रफा-दफा नहीं हो पाएगा और जांच के बीच काई नाम उजागर होंगे.

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अन्य विभागों के सौरभ शर्मा पर भी नजर

परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा मामला उजागर होने के बाद सरकार और जांच एजेंसियों की नजर अन्य विभागों पर भी हैं. जांच एजेसियां जानकारी जुटा रही हैं कि अन्य मलाईदार विभागों में भी तो कहीं ऐसे सौरभ शर्मा नहीं हैं. जांच की दिशा पांच-दस साल से इन विभागों में सबसे अधिक सक्रिय रहे कर्मचारियों की ओर भी है. एजेंसियों को उम्मीद है कि कुछ दिन की एक्सरसाइज के बाद अन्य विभागों के सौरभ शर्मा की तलाश आसान हो सकती है.

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एमपी कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं की सीक्रेट मीटिंग

मध्यप्रदेश कांग्रेस में नए लीडरशिप को जिम्मेदारी देने के बाद बुजुर्ग नेता हासिए पर है. अब बुजुर्ग नेता अपने पुनर्वास के लिए मंथन कर रहे हैं. कुछ दिन पहले बुजुर्ग नेताओं के बीच एक सीक्रेट बैठक हुई तय हुआ की एक ग्रुप बनाया जाए जो साथ मिलकर काम करे लेकिन कुछ ने मना कर दिया. कुछ नेताओं ने कहा कि मौजूदा नेतृत्व के साथ चला जाए वही बेहतर है. घंटों चली बैठक बेनतीजा रही.

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छापे पर नेताओं की चुप्पी, विरोधी गैंग एक्टिव

मध्यप्रदेश के सियासत में सौरभ शर्मा और बिल्डरों पर हुई कार्रवाई ने भूचाल मचा रखा है. विपक्ष के दो नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई नेताओं के नाम उजागर किये लेकिन विपक्ष में जिन नेताओं की जिम्मेदारी है सरकार को घेरने की वो फिलहाल इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. कोई कुछ भी खुलासा नहीं कर रहा है. विरोधी गैंग अब पता लगाने में जुटी हुई है कि आखिर नेताजी क्यों चुप हैं? जो हर बात पर ट्वीट करते हैं, लेकिन इस मामले पर काफी कम बोल रहे हैं.

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