(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

सिस्टम के शिष्टाचारी…बदजुबान मंत्री की कहानी

मध्यप्रदेश के एक मंत्री इन दिनों परेशान हैं। कारण कुछ और नहीं बल्कि उनकी ही बदजुबानी फिर अजीब तर्क पर मीडिया की खिंचाई। एक नहीं बल्कि दो-दो प्रदेश के बड़े और बेहद महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी आपके कंधे पर है। सालों से बदहाल और खस्ताहाल विभागों की हालत भी आज भी वेंटिलेटर पर ही मानिए। ऐसे में आपका जनता के सवालों के साथ मीडिया से भागना समझा जा सकता है। बीते दिनों विधानसभा में मंत्री जी से मिलने कुछ जागरूक नागरिक पहुंचे थे। यह जागरूक नागरिक प्रदेश के उस घटिया सिस्टम से सालों से न्यायालय में लड़ रहे हैं जिससे प्रदेश का हर अभिभावक परेशान है। विधानसभा में मिलने का कारण यह था कि वैसे तो विभागीय सुधार के मामलों को लेकर न तो मंत्री जी मंत्रालय में मिलते हैं न ही बंगले पर। माननीय जानते हैं कि मामला कई सौ करोड़ की गड़बड़ियों से जुड़ा हुआ है। जब विधानसभा में माननीय से चर्चा की कोशिश की तो मंत्री जी बदतमीजी पर उतारू हो गए। कहते हैं बार-बार क्यों परेशान करते हो। जाओ न्यायालय में ही अपनी बात करो। बड़े भद्दे शब्द भी निकाले। अरे माननीय प्रदेश का भविष्य बनाने का विभाग आपके पास है। ऐसे नाक सिकोड़ कर भागने से कुछ नहीं होगा। वैसे भी ट्रांसफर के बाद आपकी मीडिया से दूरी भी चर्चाओं का विषय है। सिस्मट के शिष्टाचार के साथ थोड़ा दायित्वों में निभाओ मंत्री जी…।

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जब रात में निर्माण भवन पहुंचे एक अधिकारी…

पीडब्ल्यूडी में बीते कुछ दिनों से कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। इस बार की बारिश ने कुछ ज्यादा ही विभाग की हालत खराब कर दी। बीते दिनों तो कुछ ज्यादा ही हद हो गई। जब एक वरिष्ठ अधिकारी रात निर्माण भवन में पहुंच गए। मामला एक टेंडर से जुड़ा हुआ था। तैयार किए जा रहे टेंडर में एक गड़बड़ी हुई। गड़बड़ी भी शर्तों को लेकर थी। विंध्य की एक बड़ी कंपनी को फायदा पहुंचाने कुछ विशेष शर्तों का उल्लेख। विशेष डील की जानकारी भी कांग्रेस के एक नेता को लगी तो उन्होंने एक ट्वीट किया। हांलाकी चंद मिनटों में एक अनुरोध के बाद ट्वीट हटा दिया गया। लेकिन, तब तो देर हो चुकी थी। ट्वीट श्यामला हिल्स तक पहुंच चुका था। वहां से एक फोन विभाग के उच्च अधिकारी के पास सामान्य जानकारी के लिए पहुंचा। तभी मामला आउट हो गया। वीवीआईपी लॉबी में उनके शिष्टाचार की खबर लगते ही साहब रात में ही पहुंचे। फिर शुद्धिकरण का अभियान शुरू हुआ। देर रात तक काम भी चला। हालांकि अब तक टेंडर जारी नहीं किया गया है।

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प्रदेश प्रभारी के लिए सदन ठप !

मध्यप्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र चल रहा है सत्र में 10 बैठकें होनी थी, जिसमें से 5 हो चुकी है और पांच बची है। 5 दिन चले सत्र की बात की जाए तो शुरुआत के चार दिन विपक्ष ने अलग-अलग तरीके से सदन के बाहर मुद्दे उठाकर प्रदर्शन किये। लेकिन सत्र के पांचवें दिन विपक्ष ने सदन के अंदर भी कर्नल सोफिया कुरैशी के मामले को लेकर जमकर हंगामा किया। अचानक विजय शाह के इस्तीफा की मांग को लेकर किए गए विरोध के पर्दे के पीछे की कहानी ये है कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी विधानसभा में विधायकों से मिलने आने वाले थे, लेकिन सत्र चल रहा था। इस बीच कांग्रेस विधायकों ने लगातार हंगामा किया और सत्र सोमवार तक स्थगित कर दिया गया।

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पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में चल रहा है सेटिंग का खेल

मध्यप्रदेश में साढ़े 6 हजार पदों पर पुलिस जवानों की भर्ती हुई है। फिलहाल नए पुलिस आरक्षकों की अलग-अलग पीटीएस में ट्रेनिंग चल रही है। लेकिन खबरीलाल की खबरों के अनुसार यहां सेटिंग का खेल चल रहा है। नियम ये कहता है कि लगातार 30 दिन अगर कोई भी जवान ट्रेंनिंग सेंटर से गैर हाजरी रहता है तो उसे फिर से ट्रेनिंग शुरू से करनी होती है। लेकिन सेटिंग के जरिए कई नए जवान 30 से ज्यादा दिन गैर हाजरी रहने के बावजूद विशेष संरक्षण देकर ट्रेनिंग करवाई जा रही है।

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