(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

सुरा प्रेमी मंत्री जी का एक किस्सा…

अकसर विवादित के साथ तुनकमिजाजी के लिए मशहूर प्रदेश के एक माननीय से उनके ही नहीं बल्कि अन्य विभागों के अधिकारी तक त्रस्त हैं। माननीय सुरा प्रेमी हैं। हकल गीला होते ही स्टाफ भी परेशान हो जाता है। मदहोशी में ही माननीय को सारे काम याद आने लगते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि दिन में आखिर क्या करते होंगे माननीय। हालात ऐसे है कि विभाग छोटा ही सही लेकिन घंटों की मीटिंग के बाद अफसर भी यही बोलते है कि आखिर कब तक कम दिमाग को झेलना पड़ेगा। बीते दिनों मंत्री जी के स्टाफ ने टाइगर रिजर्व के बड़े अफसर को फोन लगाकर 15 जुलाई के बाद बीच जंगल में वीआईपी गेस्ट हाउस बुक करने की बात कही। मानसून के कारण एरिया बंद होने की बात कह अफसर ने फोन काट दिया। मंत्री जी ने मदहोशी में जमकर तू-तड़ाक पर उतर आए। साथ ही यह भी कहा कि वन विभाग के नियम कायदों को हमसे बेहतर कौन जानेगा। जब मीडिया कि नजर होने की बात कही तब मंत्री शांत हुए। अब मंत्री जी को कौन समझाए तब की बात अलग थी..अब की अलग।

दागदार ऑफिसर की टीएंडसीपी में खुलेआम डीलिंग

यदि सरकारी महकमों में शिष्टाचार की बात की जाए तो टीएंडसीपी की दबदबा बड़ा भारी मानिए। बिल्डर से लेकर तमाम बड़े प्रोजेक्ट। लाखों में क्या होता है, करोड़ों की बात की कीजिए। बात यदि भोपाल टीएंडसीपी की हो तो कहना ही क्या। लेकिन, टीएंडसीपी संचालनालय समेत संयुक्त संचालक कार्यालय में शिष्टाचार बड़े दबे पांव होता था। दलालों की लंबी कतार और फाइलें। दलाल भी एक से बढ़कर एक रहे। लेकिन एक बार फिर दागदार, विवादित अफसर ने टीएंडसीपी में आमद दर्ज कराई हैं। वरिष्ठ अफसर को बीती कांग्रेस सरकार में कुर्सी मिली थी। तब कांग्रेसी नेताओं के इशारों पर ही शहर की इन और घपले-घोटालों, भारी गड़बड़ियों से भरी शहर विकास की इबारत को लिखा गया। आश्चर्य की बात तो यह है कि किले के कांग्रेसी दिग्गज की खास अफसर को बीजेपी में उसी कुर्सी पर बिठाया गया। खेर, फिर पॉवर में अफसर ने दलाली सिस्टम को खत्म कर दिया है। दरअसल, संबंधित अब खुलकर खुद ही डील में हैं। सीधे आएं, बात करें, शिष्टाचार का परिचय दें और फाइल साइन कराएं। है न गजब…

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मंत्री जी के पीए के चक्कर में हुए घनचक्कर

विभाग से क्या होता है..मंत्री तो मंत्री होता है। इस डायलॉग के लिए फेमस एक मंत्री जी के पीए से अधिकारी परेशान हैं। दरअसल, मालवा अंचल के पीए महोदय हर विभाग में मनचाही पोस्ट के लिए झट से तैयार हो जाते हैं। फिर लंबी बातों के साथ जो मिला जेब में गया। लेकिन, काम की बात मत कीजिए। बीते दिनों नगरीय विकास एवं आवास विभाग समेत पीडब्ल्यूडी और कुछ नगर निगमों के उपायुक्त, अपर आयुक्त स्तर के अधिकारियों से पीए महोदय ने मनचाही पोस्ट के लिए रकम ले ली। अब फोन भी रिसीव नहीं हो रहा है। परेशान अफसर बेचारे अब बंगले के चक्कर लगाने को मजबूर। सुना है पीए महोदय ने बीते छह माह में ही एक करोड़ से ज्यादा की राशि जेब में भरी। पीए महोदय इसे टोकन अमाउंट करते हैं।

मंत्रालय में प्रेम की चर्चा

मंत्रालय के एक विभाग में चल रहे प्रेम प्रसंग की हर तरफ चर्चा है। एक तरफ मंत्री जी के करीबी है दूसरी तरफ विभाग में पदस्थ महिला कर्मचारी….दोनों के बीच की नजदीकियां खूब सुर्खियां बटोर रही है।मंत्री जी के करीबी माननीय के सभी काम देखते हैं बगैर उनके पूछे विभाग में कुछ नहीं होता है, इसी कारण विभाग में भी उनका काफी आना-जाना है बताया जा रहा है इसी दौरान दोनों के बीच नैन मटक्का हो गया।

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कमलनाथ की जीतू गुट ने की शिकायत

मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद अब कांग्रेस पता लगाने में जुटी हुई है कि आखिर ये बुरे परिणाम क्यों आए हैं, लेकिन इसमें भी कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर है। कांग्रेस फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सामने जीतू गुट के प्रत्याशियों ने कमलनाथ को लेकर जमकर भड़ास निकाली। कमेटी के सामने जीतू गुट के प्रत्याशियों ने बीच चुनाव में कमलनाथ के बीजेपी में जाने की खबरें और उन खबरों को नकारने की जगह उनके समर्थकों ने हवा दी। जिससे पार्टी को काफी नुकसान हुआ और जनता के बीच गलत संदेश गया। कांग्रेस के अंदरखाने की खबर ये है कि ये बड़ी रणनीति के तहत किया गया है हार का ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ दो और जीतू पटवारी को बाइज्जत बरी करवा दिया जाये।

अधिकारियों को भोपाल प्रेम, बाहर मन नहीं लगता

अगले एक हफ्ते के अंदर मध्यप्रदेश में बड़ी प्रशासनिक होने जा रही है, लेकिन लंबे समय से भोपाल में पदस्थ कई अधिकारियों को फिर से भोपाल प्रेम जागा है। साहब फिर से सेटिंग बैठाने में जुट गए हैं। कई अधिकारियों की जुगाड़ लग चुकी है और कई अधिकारी अब भी अपनी फील्डिंग सेट करने में जुटे हुए। अब देखते कितनी कामयाबी मिलती है।

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