
विभाग से आई सूची इस कारण नहीं हुई जारी
बात बुंदेलखंड इलाके के एक जिले की है. जहां जिले से जिले में होने वाले तबादला सम्बन्धी महत्वपूर्ण विभाग की सूची प्रभारी मंत्री ने अनुमोदित कर रखी थी. सूची जारी ही होने वाली थी कि विभागीय मंत्री से अनुमोदित होकर एक सूची जिला मुख्यालय पहुंच गई. फिर क्या था प्रभारी मंत्रीजी ने बात दिल पर ले ली. फिर न जिला स्तर पर तैयार हुई सूची जारी हुई और न ही भोपाल से अनुमोदित होकर आई सूची जारी हुई.
साधे जा रहे नए समीकरण
मध्य प्रदेश बीजेपी को नया मुखिया मिलने के बाद अब मुख्य धारा में आने की मंशा रखने वालों ने नए समीकरण साधना शुरू कर दिए हैं. इसके लिए सरकार के मुखिया से लेकर पर्टी के मुखिया तक उपस्थित दर्ज कराई जा रही है. साथ ही अपने-अपने आकाओं से संपर्क की सक्रियता भी बड़ी हुई नजर आ रही है. इन सबका उद्देश्य एक ही है कि आने वाले समय में सत्ता और सत्ताधारी पार्टी में मुख्यधारा में आ सकें.
पीसीसी चीफ ने एक-एक जिले में घनघनाया फोन
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख जीतू पटवारी पर अशोकनगर में एक मामले में FIR दर्ज की गई, जिसको लेकर पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन किया गया. 8 जुलाई को अशोकनगर में जेल भरो आंदोलन भी है. प्रदर्शन और आंदोलन को सफल बनाने के लिए खुद जीतू पटवारी ने मोर्चा संभाल रखा है. जिले में किए गए प्रदर्शन को लेकर खुद उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओं को फोन घनघनाये नतीजा भी सुखद रहे. पूरे प्रदेश में पटवारी के FIR को लेकर ठीक ठाक दर्शन हुए. अब सबकी नजर 8 जुलाई के आंदोलन पर टिकी हुई है.
और जब हो गया विवाद
कांग्रेस में आपसी विवाद मतलब कोई नई बात नहीं, लेकिन विवाद यदि प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व में शामिल नेताओं के सामने हो तो सुर्खियां राजनीतिक गलियारों में चहचहाने लगती है. ऐसा ही बीते दिनों हुआ, जब कुछ कांग्रेसी दिग्गज पुलिस मुख्यालय पहुंचे. अंदर तो जाना साथ हुआ और बाहर निकलना भी. जब बाहर निकले तो मामला कुछ अलग ही था. कांग्रेस के एक वकील नेता जी कुछ असहज से दिखे. फिर मीडिया के सामने ही एक वरिष्ठ नेता के बयान के दौरान ही बोल पड़े. पता कुछ रहता नहीं है. नाम यह है उसका. फिर क्या था वहां मौजूद कांग्रेस नेताओं ने भी अपने आपको कुछ कहने से संभाल लिया. अब वरिष्ठ पर वार तो हुआ ही था. पर करते भी क्या. खैर लगता है अभी गुना और देवास की दूरी कम नहीं हुई है.
जब बोले-भोपाल बहुत कठिन है…सबके कान खड़े हो गए
बीजेपी में बहार है. नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के स्वागत की. बैठकों की, बदलाव की, नसीहतों की और कुछ. खैर प्रदेश बीजेपी के नए मुखिया ने एक कार्यक्रम के दौरान बहुत बड़ी बात कम शब्दों में कह ही डाली. शब्द भोपाल कठिन है, आसान नहीं. हालांकि, बात उन्होंने भोपाल जिले की उन दो सीट हो लेकर कही जो कांग्रेस के कब्जे में हैं. उत्तर के साथ मध्य विधानसभा. खंडेलवाल ने इशारों में यह भी कहा कि प्रदेश में परचम, लेकिन भोपाल यदि पीछे रह जाए तो जीत का मतलब नहीं रह जाता. जरूरी है कि भोपाल में कमल खिलाना है तो एक होना होगा. यह एक होने की बात या नसीहत कह लीजिए. बड़ी और बहुत बड़ी है. वह भी तब जब भोपाल खुद मंच हो.
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