
कुर्सी बांटने वालो को नहीं मिली कुर्सी
मध्य प्रदेश कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता की बेचारी राहुल गांधी के दौरे समय दिखी. पिछले 40 साल से ज्यादा मध्य प्रदेश में टिकट और कुर्सी बाटने वाले नेताजी को राहुल गांधी के दौरे के समय कुर्सी के लिए खड़ा रहना पड़ा. मामला पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक के समय का है, जब उम्र के तकाजे के चलते नेताजी बैठक में नेताजी की नेत्री लेट हुई. तब तक बाकी नेताओं ने राहुल के करीब जाकर कुर्सी को घेर लिया. बैठक में कुर्सी के लिए नेताजी दूसरे नेताओ का मुंह ताकते रहे. करीब 5 मिनिट इंतजार के बाद उनके एक समर्थक ने उनके लिए कुसी खाली. नेताजी का अब तक जलवा इतना हुआ करता था कि उन्हें देखकर लोग कुर्सी से खड़े हो जाते थे.
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कलेक्टर हो तो ऐसा
मध्य प्रदेश के खंडवा के कलेक्टर ऋषव गुप्ता की इन दिनों पूरे देश में तारीफ हो रही है. कलेक्टर साहब युवा हैं और नावचार के लिए जाने जाते हैं. कलेक्टर साहब न केवल जनता, बल्कि पशु-पक्षी और पर्यावरण के लिए भी संवेदनशील हैं. कलेक्ट्रेट में रहने वाले 100 से ज्यादा कबूतरों के लिए कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने वन विभाग के के साथ मिलकर कलेक्ट्रेट में अलग-अलग स्थान पर लकड़ी के पिजन हाउस बनवाये हैं. इसके बाद हाल ही में जल संरक्षण में खंडवा देश में मिसाल बना है और देश में पहले नंबर पर आया. इसके लिए प्रदेश में कलेक्टर साहब की और देश में मध्य प्रदेश की जमकर तारीफ हो रही है.
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फिर शुरू हुई आपदा में अवसर की तलाश
पहले तो ईश्वर से यही प्रार्थना है कि कोरोना जैसी महामारी दोबारा अपने पांव न पसार पाए. लेकिन हालात कुछ और बयां कर रहे हैं. लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है और इस इजाफा के साथ जिम्मेदार मुनाफा की तलाश में निकल गए हैं. दरअसल, ऐसा है कि स्वास्थ्य विभाग में कोरोना महामारी के मध्य नजर एक बार फिर अलग-अलग बचाव सामग्रियों समेत जांच और अन्य बचाव सामग्री के खरीदी का वक्त आ चला है. टेंडर की तैयारी अभी जोर-शोर से की जा रही है और इन टेंडरों मे शिष्टाचार की कवायत भी शुरू हो चली है. वैसे इन दोनों जांच के लिए कंपनियों के टेंडर का मामला सुर्खियों में हैं. मामला इसलिए अटका हुआ है कि…समझ गए न…बड़े-बड़े लोग, बड़े-बड़े कंपनियां और बड़े-बड़े ऑफर…गजब है न..अरे कम से कम टेंडर तो जारी कीजिए जनाब…हालत का हिसाब आपसे छिपा कहां है…
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प्रवेश नहीं मिलेगा यहां…मंत्री जी का आदेश है
मध्य प्रदेश के माननीय इस वक्त हलकान भी हैं और परेशान भी. कारण है, सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के ट्रांसफर. पहले तस्वीर आई की मंत्रियों ने अपने बगले के बाहर बोर्ड लगाए थे. बोर्ड में लिखा गया कि कृपया स्थानांतरण के लिए संपर्क ना करें. लेकिन एक प्रदेश के बड़े रसूख के मंत्री ने तो गजब कर डाला. दरअसल, मंत्री जी ने अपने स्टाफ के कर्मचारियों को सिर्फ इस बात के लिए तैनात किया है कि कोई भी व्यक्ति मिलने वाला उनसे आए, तो पहले पता किया जाए कि कारण क्या है. कारण पता कर अंदर फोन लगाया जाए और संबंध व्यक्ति के नाम के साथ-साथ कारण बताया जाए. कारण बताने के बाद यदि अंदर से स्वीकृति मिलेगी, तो ही प्रवेश होगा अन्यथा नहीं. मंत्री जी की इस अक्लमंदी का ऐसा प्रभाव पड़ रहा है कि पूछिए मत. मंत्री जी के खिलाफत में नाराजगी तो बड़ी ही रही है, बल्कि संगठन स्तर तक शिकायतें भी की गई है. माननीय के क्षेत्र के जनता पदाधिकारी कार्यकर्ता ही परेशान हैं और माननीय है कि अभी तक अपने केंद्र के रुतबे को भूल नहीं पाए.
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