Pradosh Vrat Today: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है. यह तीन घंटे का शुभ समय होता है, जो सूर्यास्त से 1.5 घंटे पहले और 1.5 घंटे बाद तक रहता है. यह प्रत्येक पखवाड़े की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है, इसलिए हर महीने दो बार प्रदोष व्रत आता है—एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में.

इस बार माघ मास का अंतिम प्रदोष व्रत 9 फरवरी 2025 को पड़ रहा है. चूंकि यह रविवार को आ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन भगवान शिव और उनके वाहन नंदी की विशेष पूजा का महत्व है.

प्रदोष काल और इसका महत्व (Pradosh Vrat Importance)

संस्कृत में “प्र” का अर्थ होता है हटाने वाला और “दोष” का अर्थ है अशुभ कर्म. अतः प्रदोष व्रत करने से पापों का नाश होता है और इच्छाओं की पूर्ति होती है.

  • प्रदोष काल शाम 4:30 बजे से 6:00 बजे तक रहता है.
  • शनिवार को पड़ने वाला शनि प्रदोष विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है.
  • सोमवार को आने वाला सोम प्रदोष भी अत्यंत शुभ होता है.

पौराणिक कथा

समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष उत्पन्न हुआ, तो देवताओं ने भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना की. शिव ने संपूर्ण सृष्टि की भलाई के लिए विष का पान कर लिया, जिससे उनका गला नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए.

त्रयोदशी तिथि को देवताओं ने शिव की आराधना की. इस पूजा से प्रसन्न होकर महादेव ने नंदी बैल पर नृत्य किया. तभी से इस समय को प्रदोष काल के रूप में मनाया जाता है.

  • प्रदोष व्रत रखने से शरीर और मन की शुद्धि होती है.
  • पापों से मुक्ति मिलती है और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है.
  • विशेष रूप से सोम प्रदोष और शनि प्रदोष पर व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

प्रदोष व्रत के नियम

  • व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखा जाता है.
  • शाम के समय शिव पूजा के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है.
  • इस दिन सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए और सत्संग-भजन करना लाभकारी होता है.

प्रदोष व्रत के लाभ (Pradosh Vrat Benefits)

  • सफलता, सम्मान और संतान सुख की प्राप्ति
  • पापों से मुक्ति और मानसिक शांति
  • आध्यात्मिक जागरूकता और इच्छाओं की पूर्ति
  • उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद