
Bihar News: जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर आज बुधवार (05 मार्च) को बेतिया पहुंचे. यहां उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर की बिहार चुनाव में एनडीए की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा? पर बड़ा बयान दिया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि, मोदी जी बिहार आने पर नीतीश जी को बिहार का लाडला मुख्यमंत्री बता रहे थे, मैं मोदी जी से अपील करता हूं, अगली बार बिहार आएं तो उन्हें यह घोषणा करनी चाहिए कि यही लाडले व्यक्ति अगले पांच वर्ष भी मुख्यमंत्री रहेंगे.
प्रशांत ने कहा कि, पीएम यह घोषणा कर दें और चंपारण में एक-एक सीट पर बीजेपी नहीं हारी तो हमसे पूछिएगा. ये लोग नीतीश कुमार को खाली मुखौटा बनाकर किसी तरह वोट लेना चाहते हैं. जीतने के बाद नीतीश का गला काटेंगे और अपना मुख्यमंत्री बनाएंगे.
‘अकेले चुनाव लड़ने की नहीं हिम्मत’
वहीं, सीएम के पलटी मारने की अटकलों पर प्रशांत किशोर ने कहा कि, नीतीश कुमार में इतना दम नहीं है कि पलटी मार लें. वह चुनाव जीतने के बाद पलटी मारते हैं. नीतीश कुमार ने 2015 के अलावा अपने पूरे जीवन में बीजेपी के बगैर चुनाव नहीं लड़ा है. बीजेपी की ताकत, पैसे और संगठन के भरोसे ही वह लड़ते हैं. उनके पास इतनी हिम्मत नहीं है कि वह अकेले चुनाव लड़ लें. इस बार जनता भी मन बनाकर बैठी है कि उनके दल को इतनी कम सीटें आएंगी कि उनके किसी तरफ पलटने का कोई फायदा नहीं होगा. वह मुख्यमंत्री नहीं बनने वाले हैं.
20 साल में 9 बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पाला बदलने में माहिर है. इसलिए उन्हें ‘पलटू राम’ भी कहा जाता है. इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने अपने 20 साल के मुख्यमंत्री काल में 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं.
नीतीश ने कब-कब मारी पलटी?
साल 2003 में नीतीश कुमार और शरद यादव ने JDU का गठन किया था और साल 2005 में BJP के साथ सत्ता में वापसी की, उस समय JDU को 88 सीटें आई थीं. साल 2010, BJP के साथ मिलकर 115 सीटें आई, लेकिन बीजेपी को छोड़ दिया. वहीं, 2014 में मोदी विरोध के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया और महागठबंधन में शामिल हो गए. फिर 2017 में उन्होंने तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन तोड़ा और बीजेपी के साथ बिहार में सरकार बनाई.
2022 में महागठबंधन में वापसी की, लेकिन 2024 में फिर से बीजेपी से मिलकर सरकार बनाई. वहीं, अब उसके साथ ही मिलकर 2025 चुनाव लड़ने की तैयारी है. चुनाव के बाद सीएम नीतीश बीजेपी के साथ बने रहेंगे या फिर भतीजे (तेजस्वी) के प्रति उनका प्यार उमड़ेगा कहना अभी मुश्किल है.
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