जशपुर। बगीचा नगर पंचायत में रहने वाले पांच बिरहोर परिवार आज भी आदिम युग में जी रहे हैं। कई फ़ीट ऊपर पहाड़ पर इनका आज भी बसेरा है। न पीने को पानी न ही इनकी बस्ती तक पहुचने के लिए सड़क। सरकार की सारी योजनाएं इन तक पहुचते पहुचते दम तोड़ देती है । ऊपर से इनके उत्थान और विलास की जिम्मेदारियों  की गठरी लेकर घूम रहे सरकारी मुलाजिमों का यह कहना की वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते।

राष्ट्रपति द्वारा विशेष रूप से संरक्षित विशेष जनजाति बिरहोरों की दशा बद से भी बदतर हो गया है। सरकार इन्हें  संरक्षण देकर उन्नति के रास्ते में ले जाने के  बजाय इन्हें आज भी पहले की तंरह शायद गुफाओं में ही रखना चाहती है। रोटी कपड़ा मकान के  अलावे इन्हें सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुबिधाओं से अब तक महरूम रखा जा रहा है। हम  किसी दूर दराज में बसने वाले विरहोरो की बात नही कर रहे हम बात उन विरहोरो की कर रहे हैं जो नगरीक्षेत्र बगीचा के वार्ड नम्बर 4 में बसे हैं। नगर पंचायत बगीचा के वार्ड नम्बर चार में बसे विरहोरो की बस्ती को रापत कोना बस्ती के नाम से जाना जाता है जहां विरहोरो का 5 परिवार रहता है।

इनके लिए सरकार की सारी योजनाएं जैसे  शिथिल हो गयी है इसलिए इन्हें आज तक न तो सरकार ने सड़क दिया न पानी घर तो है ही नही, है भी फूस और पत्तों की छोटी सी खोली जहाँ इंसान तो क्या जानवरों को भी रहने में दिक्कत होगी। पानी के नाम पर इनके 200 से फ़ीट से भी ऊपर पहाड़नूमा बस्ती के नीचे एक पोखरा और 100 फ़ीट नीचे एक नाला है। जहां का पानी पीने से लेकर निस्तारी तक काम आता है । यहां रहने वाले बिरहोर मंगल साय का कहना है कि बस्ती की मुख्य सड़क से इनकी बस्ती की ऊंचाई करीब 300 फीट ऊपर है। जहां आज तक उनके लिए पीने के पानी तक का इंतज़ाम नही किया गया लिहाजा उन्हें नाला और पोखरा का पानी आज भी नसीब है।

बिरहोर फूलचंद का कहना है कि नीचे की बस्ती से उनकी बस्ती तक आने जाने के लिए सड़क नही होने के चलते बरसात के दिनों में ये कभी नीचे नहीं जाते। बीते वर्ष इस बस्ती में जब हैजे का प्रकोप फैला तो इन्हें इनके घर से अस्पताल ले जाने में सरकारी महकमे के पसीने छूट गए थे। इन्होंने बताया कि बहुत मुश्किल से इन्हें अस्पताल कंधे पर टांग कर ले जाया गया क्योंकि इस बस्ती में चारपहिया दोपहिया की बात छोड़िए साइकिल और पैदल भी चलना मुश्किल है।

कुछ दिन पहले इन्हें पता चला कि सरकार घर घर में शौचालय बनवा रही है ।लिहाजा नगर पंचायत ने कॉलम पूरा करने के लिए इस बस्ती में भी शौचालय बनवा दिया लेकिन शौचालय किस काम का जब पानी का ही इंतज़ाम न हो। सुकनी बाई ने बताया के बस्ती में कुल 4 शौचालय बनवाये गये हैं लेकिन दो पानी के अभाव में इस्तेमाल नही होते तो दो में पानी जमा होने के कारण कोई इस्तेमाल नही करता ।
“इनका कोई इलाज नही”

नगरीय क्षेत्र बगीचा में रहने वाले इन दत्तक पुत्रों की दुर्दशा का कोई इलाज नही है ,हम चाहकर भी उनके लिए कुछ नही कर सकते ।यह कहना है बगीचा नगर पंचायत के सीएमओ का।