रायपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मोदी कैबिनेट की सिफारिश पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल भगत सिंह कोशरिया ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की केन्द्र सरकार से सिफारिश की थी. वहीं शिवसेना ने अचानक राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
इसके साथ ही 19 दिन से सरकार बनाने को लेकर चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया है. 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 105, शिवसेना 56, एनसीपी 54 और कांग्रेस को 44 और अन्य को 29 सीटें मिली थी. चुनाव में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था लेकिन शिवसेना सरकार में 50-50 के फार्मूले पर अड़ी हुई थी.
राज्यपाल द्वारा आमंत्रित किये जाने के बाद भाजपा ने शिवसेना के रवैय्ये में नरमी न देखते हुए सरकार बनाने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद भाजपा और शिवसेना का बरसों से चला आ रहा गठबंधन टूट गया. वहीं शिवसेना ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश किया था. सेना की तरफ से राज्यपाल से दो दिन अतिरिक्त समय की मांग की गई थी लेकिन राज्यपाल ने 24 घंटे से ज्यादा समय देने से इंकार कर दिया था जबकि राज्यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया था.
उधर शिव सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरने ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और शरद पवार से सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगा था. सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे और अहमद पटेल को शरद पवार से आगे की बातचीत के लिए मुंबई रवाना कर दिया था. लेकिन इससे पहले की उनकी बातचीत शुरु होती, राज्यपाल ने केन्द्र सरकार से राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश कर दी. जबकि शिवसेना के पास रात 8 बजे तक का समय था. राज्यपाल की सिफारिश के खिलाफ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बताया जा रहा कि भाजपा को 48 घंटे के जवाब में शिवसेना को महज 24 घंटे का ही समय दिया गया.