रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार लोक-पर्व छेरछेरा को भी धूमधान से मना रही है. वहीं भाजपा ने इस पर्व के साथ सरकार के ख़िलाफ़ एक अभियान की शुरुआत करने जा रही है. इस अभियान को भाजपा ने ‘भात पर बात’ का नाम दिया है. पूर्व मंत्री और कुरुद से भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कल छेरछेरा है और सरकार के पास इसके अलावा कोई कार्यक्रम नहीं है. छेरछेरा में गांवों में मूलतः अन्नदान ही किया जाता है. इस सरकार ने धान खरीदी के मामले में किसानो को रुलाया है. सरकारी निर्देशों के अतिरिक्त मौखिक निर्देश पर भी कार्रवाई हो रही है. धान पकड़ने के लिए पटवारी, पुलिस से लेकर विभाग के प्रमुख सचिव तक लगे हैं. धान खरीदी 2500 रुपये में खरीदने का वादा किया था लेकिन डिफरेंस की राशि कैसे देंगे इसका पता लगाने कमेटी बना दी. हमने इससे पहले एक कमेटी का हश्र देखा है. शराबबंदी को लेकर कमेटी बनाई थी. नशे के मामले में छत्तीसगढ़ ने पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है. सिर्फ भावनात्मक मुद्दों को उठाने की कोशिश सरकार ने की है. पंचायत ग्रामीण विकास का बजट सरकार ने घटाया है. 14 वें वित्त आयोग का पूरा पैसा नरवा, गरवा, घुरवा, बारी में लगा दिया है लेकिन इस योजना का क्या लाभ मिला है? ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के नाम पर एक ऐसी योजना शुरू कर दी गई है जिसका कोई सिर पैर नही है. पंचायत के पैसे का सरकार गलत उपयोग कर रहे हैं.

‘भात पर बात’
वहीं अजय चंद्राकर ने कहा कि हम छेरछेरा के मौके पर ‘भात पर बात’ अभियान शुरू करेंगे. धान नहीं खरीद करकर छत्तीसगढ़ के अन्नदाताओं का सरकार ने अपमान किया है. हम प्रदेश भर में भात पर चर्चा करेंगे. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर एक भी योजना सरकार ने शुरू नहीं की है. छत्तीसगढ़ के किसानों सरकार के चेहरे से वाकिफ हो गए हैं. छत्तीसगढ़ की संस्कृति भात(चावल) से जुड़ी है. हम 20 हजार गांवों तक जाकर चर्चा करेंगे. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शुरू हो रहे हैं. बीजेपी ने सभी 27 जिलों में अपने पैनल की घोषणा कर दी है. पहली बार जनपद स्तर तक हमने पैनल बनाया है. प्रदेश से हम जिला पंचायत और जनपद पंचायत तक की मॉनिटरिंग करेंगे. वृद्धावस्था पेंशन, चिटफण्ड पीड़ितों को न्याय जैसे मुद्दे गांव से जुड़े है लेकिन क्या हुआ ?