रायपुर. इंडियन चैप्टर ऑफ इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ हाइड्रोलॉजी द्वारा “ग्राउंड वाटर चैलेंजेस इन इंडिया” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के सर जेसी बोस हॉल में आयोजित की गई. जिसमें देश भर से आये हुए भू वैज्ञानिक तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में आईएनसी के अध्यक्ष डीके चड्डा, विश्वविद्यालय के कुलपति एसके पांडे, प्रोफेसर दीपांकर साहा विशेष रूप से मौजूद थे.
कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि एवं सिंचाई मंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा किया गया. इस दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने लगातार गिरते भू जल स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उद्योगों द्वारा भारी मात्रा में भू जल का उपयोग किया जा रहा है. इस वजह से औद्योगिक क्षेत्र के आसपास का जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. ऐसे में इस दुरुपयोग पर कड़ाई बरतने की जरूरत है.भू जल का स्तर तेजी के साथ बहुत नीचे जा रहा है. कुछ वर्ष पहले जहां 150 से 200 फिट पर पानी मिलता था. आज वहां 700-800 फिट खुदाई पर पानी मिल रहा है. ऐसे में आने वाले बेहतर कल की कल्पना भी नहीं की जा सकती. यह भयावह स्थिति है क्योंकि जल है तो कल है. बिना जल के इस दुनिया में जीवन ही संभव नहीं है. ऐसे में समय रहते भू जल का संरक्षण और संवर्धन हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. इसके लिए आप वैज्ञानिकों की अगुआई में सरकार काम करने तत्पर है. हम सभी को एक आंदोलन के रूप में तीव्रता के साथ इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है.
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ईश्वर ने भारत भूमि को पर्यावरण की दृष्टि से बहुत कुछ दिया है. यहां किसी तरह की कोई कमी नहीं है. लेकिन मानवीय लापरवाही के चलते अब पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां 1300 मिलीमीटर बरसात होती है, जो बेहतर स्थिति को प्रदर्शित करती है. हम उस पानी का कितना उपयोग कर पा रहे हैं यह महत्वपूर्ण है. हम सिर्फ महानदी की बात करें तो बरसात के पानी का हम केवल 20 फ़ीसदी ही उपयोग कर पाते हैं. 80 फ़ीसदी पानी उड़ीसा होते हुए समुद्र में चला जाता है. हमने छत्तीसगढ़ में 700 से ज्यादा चेक डैम एनीकेट बनाए हैं,फलस्वरूप उन क्षेत्रों का वाटर लेवल भी बढ़ा है. फिर भी हमें इस क्षेत्र में बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता है. हमारे राज्य में 37 प्रतिशत भू जल का उपयोग किया जाता है. यहां औसतन 150 व्यक्तियों पर एक ट्यूबवेल है.
बृजमोहन ने अपने इजराइल दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि यहां की एक नदी से 5 देश पानी लेते हैं. वहां जाकर पानी का सदुपयोग कैसे किया जाता है यह देखने को मिला. वहां सड़क किनारे के पौधों तक को ड्रिप एरिगेशन के माध्यम से पानी दिया जाता है. कम पानी में फसल कैसे अच्छी लें यह उनसे सीखने की आवश्यकता है. बृजमोहन कहा कि भू जल को लेकर लांग टर्म योजना बनाने की आवश्यकता है. रिचार्जिंग के लिए भी सस्ती टेक्नोलॉजी कैसे बनायी जाए इस ओर वैज्ञानिकों को काम करने की जरूरत है. वैज्ञानिकों को चहिये की शासन के सम्बद्ध विभागों को समय-समय पर अपने सुझाव देते रहें जिससे ठोस कार्ययोजना बनायी जा सके.