प्रदीप मालवीय, उज्जैन। मठ-मंदिरों के सरकारीकरण के विरोध में पुजारियों ने मोर्चा खोल दिया है। उज्जैन में 800 से अधिक पण्डे पुजारियों ने क्षिप्रा नदी के रामघाट से महाकाल तक त्राहिमाम यात्रा निकाली। पुजारियों ने मठ मंदिरो के सरकारीकरण का विरोध करते हुए अपनी अन्य मांगे रखी।
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पुजारियों द्वारा माता क्षिप्रा को चुनरी ओढ़ाकर पूजन कर आरती की गई। इसके बाद त्राहिमाम यात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई महाकाल मंदिर पहुंची। यहां पर मठ मंदिरों के सरकारीकरण के विरोध में सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान भोपाल से आए धार्मिक समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शास्त्री ने बताया कि मठ-मंदिरों की जमीन को राजा महाराजाओं ने दी थी। कई लोगों को जमीन मिली थी। सभी ने बेच दी। लेकिन पुजारी ने उसी जमीन को जोतकर और कड़ी मेहनत करके मंदिर का विकास किया है। मध्य प्रदेश में संस्कृति का बचाव पुजारी कर रहा है। धर्म और मंदिर धर्मस्व का केंद्र बिंदु होता है। अगर उस पर कुठाराघात होता है तो वह पूरी संस्कृति पर कुठाराघात है। इसी बात को लेकर त्राहिमाम यात्रा निकाली गई। सभी मंदिरों से सरकारीकरण समाप्त किया जाए। साथ ही पुजारियों को अधिकार देते हुए सुरक्षा कानून भी बनाए जाने की मांग की।
इंदौर से यात्रा में शामिल होने आए आचार्य गोपाल पुजारी ने बताया कि त्राहिमाम यात्रा श्री महाकाल के नाम से निकाली गई है। जिसमें देश भर के 21 संगठनों ने हिस्सा लिया है। प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए गोपाल पुजारी ने कहा कि सरकार को जगाने के लिए पुजारी सड़क पर उतरे हैं। पुजारियों के घर और मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। मंदिरों से बेदखल किया जा रहा है। धर्मस्व विभाग भी यह सब नजर अंदाज कर रहा है। इन सभी को चेतावनी देने के लिए यह यात्रा निकाली गई है। सरकार नहीं सुन रही है, इसीलिए बाबा महाकाल से कामना करने के लिए आए हैं। कोई भी सरकार आती है। वह दूसरे धार्मिक स्थलों को नहीं हटाती है। हमारी प्रमुख मांग है कि मंदिरों को सरकारी तंत्र से मुक्त किया जाए।
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