लखनऊ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करेंगे. राज्य के 9 जिलों को जोड़ने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के नजदीकी क्षेत्रों उद्योगों के विकास के साथ शैक्षणिक व स्वास्थ्य संस्थान, रोजगार की नई राह भी खुलेगी. इस कार्यक्रम को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल का जायजा लिया है. उन्होंने एयर स्ट्रिप पर कैमरा लगवाने के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. कार्यक्रम को देखते हुए मौके पर शासन, प्रशासन, सेना व पुलिस के अधिकारी डट गए हैं.
यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेन्ट ऑथारिटी (यूपीडा) के सीईओ अवनीश अवस्थी ने बताया कि जनसभा के साथ यहां एयर-शो भी होगा. एक्सप्रेस-वे बैट्री चाजिर्ंग लगाने के लिए नि:शुल्क जमीन दी जाएगी. हर पुलिस चौकी के पास हेलीपैड बनाए जाएंगे. सुल्तानपुर एक्सप्रेस-वे के पास अरवलकीरी करवत की एयर स्ट्रिप पर एयर शो में कुल 11 विमान अपनी ताकत दिखाएंगे. इनमें सुखोई, 30-सी 130जे, मिराज, जगुआर और हरक्यूलस अपना करतब दिखाएंगे.
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सीईओ अवस्थी आगे ने बताया कि एक्सप्रेस-वे के दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारे बनाए जाएंगे. यहां विभिन्न प्रकार के उद्योग स्थापित होंगे. लॉजिस्टिक सुविधा बेहतर होने से स्थानीय कारोबारियों, छोटे व्यापारियों आदि को भी लाभ होगा. वहीं, पूर्वांचल के छोटे-छोटे जिलों से अब लखनऊ और दिल्ली की दूरी घट गई है. 10 घंटे का सफर महज 3.30 से 4 घंटे में तय किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि यह एक्सप्रेस-वे बिहार की सीमा तक है, इसलिए इसका लाभ बिहार के सीमावर्ती जिलों को भी सीधे मिल सकेगा. दावा किया कि यह एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल के विकास के लिए रीढ़ की हड्डी साबित होगा.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि मंगलवार को प्रधानमंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश का बैकबोन कहे जाने वाले एक्सप्रेस-वे को एक बजे राष्ट्र को समर्पित करेंगे. उन्होंने फिर दोहराया कि प्रधानमंत्री ने जुलाई वर्ष 2018 में एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था. 19 माह के कोराना काल खंड के बाद भी 341 किमी लंबा एक्सप्रेस-वे 36 माह में बनकर तैयार हुआ है. एक्सप्रेस-वे पूर्वी उप्र के करीब 8 करोड़ जनमानस के विकास व उज्जवल भविष्य का आधार बनेगा. प्रदेश की राजधानी लखनऊ से पूर्वी उप्र को एक्सप्रेस-वे जोड़ेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की रुचि पूर्वी उप्र के विकास के प्रति रही. एक्सप्रेस-वे बनने से यह सही साबित हुआ है.
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