संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी। सोमवार की तड़के सुबह लोरमी के बंधवा स्थित एकलव्य विद्यालय में उस वक्त हंगामे की नौबत आ गई, जब हॉस्टल अधीक्षिका ने करीब आधा दर्जन छात्राओं को हॉस्टल में प्रवेश करने से रोक दिया. मामला उच्च अधिकारियों तक जब पहुंचा, तब आनन फानन में विभागीय अफसरों ने मौके पर पहुंचकर मामले को शांत कराया. बताया जा रहा है कि प्रिंसिपल बिना परमिशन के छात्राओं को लेकर मेला घुमाने लेकर गए थे. हैरानी की बात ये है कि उनको रात में अपने घर पर ले गए. ऐसे में कई तरह के सवाल परिजन खड़े कर रहे हैं. साथ ही हॉस्टल अधीक्षिका भी सवालों के घेरे में है.

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, मुंगेली जिले के लोरमी विकासखण्ड अंतर्गत बंधवा में संचालित आवासीय एकलव्य विद्यालय का है. जहां प्रबंधन की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. घटना एक दिन पहले यानी कल रविवार सुबह करीब दस बजे की है. जहां परिसर अंतर्गत रानी दुर्गावती बालिका छात्रावास में रहकर एकलव्य विद्यालय में पढ़ाई करने वाली 6 आदिवासी नाबालिग बच्चों को बिना उनके परिजनों को सूचना दिए ही प्राचार्य अपने साथ सामान खरीदी करने के लिए लोरमी पहुंच गए, जिसके बाद भूखे-प्यासे बच्चे प्रिंसिपल के सांथ उनके गांव नेवसा पहुंचे. वहां से खाने के बाद प्राचार्य के साथ सभी बच्चे लोरमी के शिवघाट में आयोजित मेले में शामिल होने चले गए.

बताया जा रहा है कि बच्चों को छात्रावास न भेजकर प्राचार्य अपने घर ले गए. शाम 6 बजे तक बालिका छात्रावास में बच्चों के वापस नहीं होने की जानकारी अधीक्षिका को लगी, तो उन्होंने संपर्क किया, तब प्राचार्य ने बताया कि देर हो जाने के कारण बच्चे उनके घर में रहेंगे और सुबह आने की सूचना दी गई।

वहीं बताए अनुसार कल छात्रावास से प्रिंसिपल के साथ गए 6 छात्राएं गईं थीं, जो अलग अलग क्लास में पढ़ाई करती हैं. 5 बच्ची तो आज सुबह करीब 9 घंटे बाद छात्रावास वापस आ गए, लेकिन एक बच्ची के परिजन प्रिंसिपल के गांव नेवसा में ही रहते हैं, जो अबतक वहां से वापस छात्रावास नहीं लौटी हैं.

लापरवाही या चूक

जानकारी के मुताबिक बच्चों की देखरेख और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हॉस्टल अधीक्षिका ने छात्रावास के नियमों को ताक में रखते हुए बालिका छात्रावास के 6 बच्चियों को बिना उनके परिजनों की जानकारी के बगैर ही उनके निजी काम का हवाला देने पर प्राचार्य के साथ भेज दिया. बच्चियां कल सुबह बालिका छात्रावास से निकली थीं, जो छात्रावास से करीब 9 घंटे तक वापस नहीं लौटी, लेकिन आज सुबह करीब सात बजे 5 बच्ची एकलव्य विद्यालय के प्रिंसिपल के साथ छात्रावास पहुंची. जहां ठंड में नाबालिग बच्चे परेशान होते रहे.

इस दौरान बालिका छात्रावास की अधीक्षिका ने आदिवासी नाबालिग बच्चियों को छात्रावास में घुसने नहीं दिया. बच्चे डेढ़ घंटे तक छात्रावास के बाहर खड़े रहे. इस दौरान जांच अधिकारी के आने और बयान लेने के बाद ही नाबालिग बच्चों को अंदर जाने दिया गया. ऐसे में बालिका छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाली बालिकाओं के सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

किनके निर्देश पर छात्रों को लेकर गए प्रिंसिपल ?

बता दें कि प्रदेश के कई जिलों के बालिका छात्रावास में अन्य घटनाएं हुई हैं, जिसमें नुकसान उठाना पड़ा है. समय रहते यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले दिनों में कोई बड़ी घटना होने की आशंका है. एकलव्य आवासीय विद्यालय के प्रवेश द्वार में नोटिस बोर्ड लगा है, जिसमें पालकों का छात्रों से मिलने का दिन और समय रविवार, प्रातः 10 बजे से शायं 05 बजे तक लिखा है, जिसका पालन केवल नोटिस बोर्ड तक सीमित है.

प्रिंसिपल और अधीक्षिका आमने-सामने

इस पूरे मामले में अब एकलव्य आवासीय विद्यालय की अधीक्षिका रीता डिंडोरे और प्रिंसिपल पीडी ध्रुव आमने सामने नजर आ रहे हैं. प्रिंसिपल ने शिक्षिका पर अभद्रता करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि बालिकाओं के पालकों के द्वारा कई दफा हॉस्टल की अधीक्षिका को हटाने मांग की गई है, लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं बालिका छात्रावास की अधीक्षिका ने भी प्रिंसिपल पर बच्चियों को ले जाने के बाद आज सुबह छोड़ने का आरोप लगाया है.

वहीं अधीक्षिका ने कल छात्रों के जाने की सूचना के संबंध में बताया कि सभी का छात्रावास के रजिस्टर में हस्ताक्षर भी लिया गया है. प्रधान पाठक ने बताया कि इसकी जानकारी देने जिले के ट्राइबल विभाग के उच्च अधिकारी को फोन पर जानकारी देने संपर्क किया, लेकिन उन्होंने उनका कॉल नहीं रिसीव किया.

जिम्मेदार बेसुध

वहीं इस घटना को लेकर आदिम जाति कल्याण विभाग का पक्ष जानने के लिए lalluram.com ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. वहीं ताज्जुब की बात यह भी है कि सब कुछ जानते हुए भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं. इस मामले में फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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