शरद पाठक छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं परंतु सरकारी स्कूल के एक प्राचार्य द्वारा इस पर बट्टा लगाने लगाया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला छिंदवाड़ा जिले में सामने आया है जहां हाईस्कूल भवन को प्राचार्य द्वारा किराए पर ही दे दिया गया है। लगभग 5 साल पहले निर्मित इस भवन का 3 साल पहले विभाग को हस्तांतरण भी हो चुका है परंतु प्राचार्य ने उस भवन में स्कूल शुरू करने के बजाय उसे ग्रामवासियों को किराए पर दे दिया। वहां पर कक्षा लगने के बजाए अधिकतर कमरों में लोगों ने अपनी गृहस्थी का सामान सजा लिया है और चैन से गुजर बसर कर रहे हैं।

मामला छिंदवाड़ा चांद रोड पर स्थित गांव पिंडरई कला का है जहां पर शासन द्वारा हाई स्कूल की बिल्डिंग स्वीकृत की गई और उसके लिए सर्व सुविधायुक्त कमरों एवं मैदान से सुसज्जित भवन भी बनाया गया। करोड़ों की लागत से निर्मित इस भवन के पूर्ण होने के बाद भवन का स्थानांतरण शिक्षा विभाग को कर दिया गया, लेकिन वहां प्राचार्य ने पुरानी बिल्डिंग में ही स्कूल लगाना जारी रखा और नई बिल्डिंग लावारिस पड़ी रही। कुछ समय बाद उस भवन को गांव के ही कुछ लोगों को रहने के लिए किराए पर दे दिया। आलम यह है कि उस स्कूल भवन में लोग अपनी गृहस्थी सजाकर आराम से रह रहे हैं। जहां बच्चों को खेलना चाहिए वहां पर बकरी बांधी जा रही है। यही नहीं शासन की बिजली से वहां पर हीटर टीवी और दूसरे बिजली के उपकरण भी चलाए जा रहे हैं। छात्र अभी भी अपने पुराने स्कूल भवन की टपकती हुई छतों के नीचे शिक्षा प्राप्त करने के लिए मजबूर हैं।

इस मामले को लेकर प्राचार्य से मिलने का प्रयास किया लेकिन उसने मिलने से इंकार कर दिया। यह भी जानकारी मिली है कि उक्त प्राचार्य हमेशा नशे में रहते और स्कूल कभी-कभार ही आते हैं। प्राचार्य ने फोन पर बताया कि स्कूल भवन में बिजली पानी नहीं है और पीछे एक कुआं है जिसके कारण मैंने स्कूल आरम्भ नहीं किया है, जबकि साफ देखा जा सकता है कि स्कूल में बिजली की फिटिंग लगी हुई है और पीछे स्थित कुएं से पानी की व्यवस्था भी हो सकती है। कुएं को जाली लगाकर सुरक्षित भी किया जा सकता है। बार-बार सवाल करने पर भी प्राचार्य लगातार यही बहाने बनाते रहे।

जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल के संज्ञान में यह मामला लाने पर उन्होंने इस मामले में दोषी के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। अब देखना है कि स्कूल के छात्रों को यह भवन शिक्षा के लिए कब उपलब्ध हो पाता है।

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