रिपोर्ट-पं. वैभव बेमेतरिहा। रायपुर।  नागपंचमी के मौके पर आज हम आपको छत्तीसगढ़ के एक ऐतिहासिक अखाड़े की दास्तां सुनाने जा रहे हैं। जिक्र राजधानी रायपुर के उस अखाड़े की जहां डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भी आ चुके हैं और पृथ्वीराज कपूर भी। यही नहीं इस अखाड़े के पहलवान दारा सिंह तक को चुनौती दे चुके हैं। और सबसे खास कि ये अखाड़ा अंग्रेज शासनकाल के दौरान की है। जहां से आजादी के आंदोलनकारी भी निकले।

इससे पहले की अतीत के पन्ने खोले…जरा पहले अतीत के संग वर्तमान के इन गौरवशाली व्यायाम उपकरणों को देख लीजिए। यहां जो साजो-समान है वो आपको बड़े-बड़े से जिम खाने में नहीं दिखेंगे। और सबसे खास-बात ये कि ये आधुनिक जिमखाने को मानो चुनौती दे रहे हैं। ये व्यायामशाला है महावीर व्यायामशाला। इस व्यामाशाला का इतिहास एक सौ पच्चीस साल पुराना है। पुरानी बस्ती स्थित जैतु साव मठ परिसर में सन् 1982 में इस व्यायामशाला की नींव बिहारी दास ने रखी थी। बाद में इसका संचालन मठ के महंत लक्ष्मीनारायण दास जी करते रहे हैं, फिर मल्लूराम शर्मा ने इसका लंबे समय तक संचालन किया। आज रेवाराम यदु इसका संचालन कर रहे हैं।

 

इस अखाड़े की ऐतिहासिकता कितनी है वो इससे समझा जा सकता है कि सन् 1950 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भी यहां आ चुके हैं। यही नहीं सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर सहित कई अन्य हस्तियां भी अखाड़े की शोभा बढ़ा चुके हैं। अखाड़े के पहलवान मल्लूराम शर्मा की तब देश भर में ख्याति थी। वैसे तो इस अखाड़े से एक से बढ़कर एक पहलाव निकले, लेकिन मल्लूराम शर्मा का कोई मुकाबला नहीं था। उन्होंने दारा सिंह तक को चुनौती दे दी थी। इसी तरह से खेल भूति सम्मान से सम्मानित जवाहर लाल सोनी भी थे।

समय के साथ महावीर व्यायामशाला में भी अब आधुनिक व्यायाम के उपकरण में शामिल कर लिए गए हैं। लेकिन पहलवानी के पुराने उपकरण का इस्तेमाल आज भी जारी है। आज इस आखाड़े में 6 सौ से अधिक सदस्य हैं। इस अखाड़े परिसर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बैठकें भी होती थी। आजादी के आंदोलनकारी यहां से स्वतंत्रता समर में भाग भी लिए हैं।

बीते दौर में यहां के अखाड़े की भव्यता और भी ज्यादा थी। हनुमान जयंती पर विशाल जुलूस निकलता था। जिसमें पहलवान अपने शौर्य का प्रदर्शन करते थे। समय के साथ अब जुलूस बंद हो चुका है तो कुश्ती भी अब इस अखाड़े में नहीं होती। हां नागपंचमी और हनुमान जयंती पर यहां विशेष पूजा जरूर होती है।