सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। कोविड इलाज के लिए सरकार ने नियम-क़ानून बनाने के साथ दर निर्धारित कर दी है, फिर भी निजी अस्पतालों की मनमानी जारी है. इसके पीछे बड़ी वजह स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग के कार्रवाई नहीं करने पर अब इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से शिकायत की है.

इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सचिव राहुल वर्मा ने बांठिया हॉस्पीटल में भर्ती उर्मिला वर्मा, नरेंद्र वर्मा, प्रतिभा वर्मा, नारायण प्रसाद वर्मा और लोकनाथ सोनी के साथ गायत्री हॉस्पिटल में भर्ती चंद्रशेखर नायक को हॉस्पीटल द्वारा दी गई बिल के साथ स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत करते हुए कार्रवाई करने की माँग की गई है.

राहुल वर्मा बताते हैं कि राजधानी के साथ साथ प्रदेश की निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना की मरीज़ों से शासन द्वारा निर्धारित दर से अधिक शुल्क इलाज दवा एवं जांच के लिए लिया जा रहा है. इसको लेकर 90 ज़्यादा शिकायतें मिल चुकी हैं. शिकायत के आधार पर संगठन ने सर्वे किया, जिसमें यह बात सामने आयी है कि कोरोना वेंटिलेटर में भर्ती गंभीर मरीज़ों का शासकीय अस्पताल, एम्स और अम्बेडकर अस्पताल रायपुर में इलाज होने पर कुल दस दिनों का मेडिसीन का खर्च अधिकतम 15000 रुपए है, लेकिन निजी अस्पताल 10 दिनों में चार से पांच लाख रुपया वसूल रहे हैं. कई लोगों का बिल 10 लाख रुपए तक का बना है. केवल पैसे की ही बात नहीं है, ग़ैर ज़रूरी दवा देकर भी मरीज़ों की जान से खिलवाड़ किया गया है.