आज का काम कल पर टालना और फिर उसे न करना टालमटोल कहलाता है. यह केवल समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि टालमटोल की आदत न केवल कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक तनाव, खराब नींद और शारीरिक पीड़ा जैसे लक्षणों को भी जन्म दे सकती है.

जब कोई व्यक्ति जरूरी कार्यों को लगातार टालता है, तो उसके भीतर तनाव और अपराधबोध बढ़ने लगता है. यह स्थिति धीरे-धीरे एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में बदल सकती है. टालमटोल करने वाले लोगों में अक्सर नींद की गुणवत्ता खराब पाई जाती है, क्योंकि वे कार्यों की चिंता में रातभर जागते रहते हैं या देर रात तक काम निपटाने की कोशिश करते हैं.

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मानसिक दबाव का असर शरीर पर भी पड़ता है

लगातार बना रहने वाला तनाव सिरदर्द, गर्दन और पीठ दर्द जैसी शारीरिक समस्याओं को जन्म दे सकता है. कुछ मामलों में यह प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) को भी कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति बीमारियों की चपेट में जल्दी आ सकता है.

विशेषज्ञों की सलाह: टालमटोल की आदत को नियंत्रित करने के लिए कार्यों को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटना चाहिए. साथ ही ‘दो मिनट नियम’ जैसी तकनीकों का उपयोग करके उन कार्यों को तुरंत निपटाना चाहिए जिन्हें दो मिनट में किया जा सकता है.

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