बैंगलुरू। सैनिटरी पैड्स पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने का देशभर में विरोध हो रहा है. बैंगलुरू की एक महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है और कई संवेदनशील सवाल खड़े किए हैं. महिला का कहना है कि शारीरिक संबंध इंसान की चॉइस हो सकती है, लेकिन पीरियड्स नहीं. तो फिर कंडोम समेत कई गर्भनिरोधक टैक्स फ्री क्यों हैं, जबकि पीरियड्स हर महीने आते हैं और सैनिटरी पैड्स अति आवश्यक चीज है, फिर इस पर टैक्स क्यों ?
पीरियड्स पर टैक्स वसूली क्यों?
महिला ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘मेरे पीरियड्स पर टैक्स क्यों’? इस महिला ने सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ एक कैंपेन भी चलाया है. उसका कहना है कि कुमकुम, बिंदिया, चूड़ी तक टैक्स फ्री है, तो फिर सैनिटरी नैपकिन पर 12 फीसदी टैक्स समझ से बाहर है.
बैंग्लुरू की जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ पद्मिनी प्रसाद ने कहा कि आज भी अधिकतर महिलाएं खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं सैनिटरी पैड्स नहीं खरीद पाती हैं. इसलिए वे भी सैनिटरी पैड्स पर लगाए गए टैक्स के खिलाफ कैंपेन का समर्थन करती हैं.
मोदी के ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ पर तीखी प्रतिक्रिया
कई महिलाओं ने पैड्स पर जीसटी का विरोध करते हुए मोदी के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने जीएसटी को ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ बताया था. महिलाओं ने पैड्स पर सब्सिडी देने की भी मांग की है.
ट्विटर पर भी यूसर्स ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि जीएसटी काउंसिल में मर्द थे और उन्हें पीरियड्स नहीं होता, इसलिए वे इसकी परेशानी को नहीं समझ सकते.
वहीं एक अन्य महिला ने कहा कि देश की 80 फीसदी महिलाएं मेंस्ट्रुअल हाईजीन और सैनिटरी नैपकिन्स तक नहीं खरीद पातीं. ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली से उनका सवाल है कि क्यों सिंदूर, चूड़ी और बिंदी टैक्स फ्री है, जबकि सैनिटरी नैपकिन्स नहीं.