जशपुर नगर. यूनिवर्सल सिविल कोड और मणिपुर हिंसा के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने जिला मुख्यालय में धरना और रैली का आयोजन कर विरोध जताया. रैली के दौरान मणिपुर में महिलाओं से दरिंदगी करने वालों को फांसी देने की मांग करते हुए नारेबाजी की.

धरना और रैली में शामिल होने जिलेभर से हजारों की संख्या में आदिवासी जुटे थे. शहर के रणजीता स्टेडियम चौक में आयोजित धरना को संबोधित करते हुए अनिल किस्पोट्टा ने कहा कि यूसीसी के लागू हो जाने से आदिवासी समुदाय की परम्परा और रूढ़ियां खतरे में पड़ जाएगी. आदिवासियों की अपनी एक अलग परम्परा और रूढ़ियां है. इसे संविधान द्वारा विशेष संरक्षण भी दिया गया है. केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के लागू होने से इसे नुकसान पहुंच सकता है.

नगर पंचायत बगीचा के अध्यक्ष डा. सीडी बाखला का कहना था कि प्रस्तावित समान नागरिक संहिता भारतीय परिस्थिति के अनुकूल नहीं है. यहां विभिन्न जाति, समुदाय और धर्म के लोग निवास करते हैं. सबकी अलग अलग मान्यता और परम्पराएं हैं. केन्द्र सरकार को पहले जातिवाद, धार्मिक उन्माद और गरीबी को समाप्त करने के लिए कार्रवाई करना चाहिए.

वाल्टर कुजूर ने कहा कि बीते कई दिनों से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है. महिलाएं और बच्चों की सुरक्षा करने में स्थानीय शासन व प्रशासन विफल साबित हो रहा है. यह बेहद चिंतनीय है. इस हिंसा को रोकने के लिए केन्द्र सरकार को कठोर कदम उठाना चाहिए. सर्व आदिवासी समाज मणिपुर हिंसा के दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग करता है.

धरना के बाद हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर आदिवासियों ने रेैली निकाली. रैली रणजीता स्टेडियम से शुरू होकर जिला चिकित्सालय, महाराजा चौक होते हुए बस स्टेण्ड पहुंची. यहां से जिला भाजपा कार्यालय, जेल बगान होते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंची. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अपर कलेक्टर आईएल ठाकुर को भारत सरकार के विधि सचिव के नाम पर ज्ञापन सौंपा.