चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बात की जांच के आदेश दिए कि राज्य पर 3 लाख करोड़ रुपए का भारी सार्वजनिक कर्ज कैसे हो गया और य़े पैसा आखिर कहां खर्च किया गया ? सीएम भगवंत मान ने एक ट्वीट में कहा कि हम इस बारे में जांच करेंगे कि सारा पैसा कहां खर्च किया गया और जहां यह पैसा खर्च किया गया, वहां से इसकी वसूली (रिकवरी) का आदेश देंगे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च तक पंजाब का कुल बकाया कर्ज 2 लाख 52 हजार 880 करोड़ रुपए था, जो कि 2020-21 के लिए जीएसडीपी का 42 प्रतिशत है और 2021-22 में बकाया कर्ज 2 लाख 73 हजार 703 करोड़ रुपए होने की संभावना है, जो कि जीएसडीपी का 45 प्रतिशत है.

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राज्य का वित्तीय संकट 2024-25 तक 3.73 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना

प्रदेश में वार्षिक बजट का 20 प्रतिशत केवल ऋणों पर ब्याज का भुगतान करने के लिए खर्च किया जा रहा है. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) की नई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का वित्तीय संकट 2024-25 तक 3.73 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है. सरकारी अधिकारियों ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार के तहत पिछले 5 वर्षों में राज्य के कर्ज में 1 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण लोकलुभावन वादे हैं. मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने 3 लाख करोड़ रुपए के ऋण अधिग्रहण की जांच के आदेश का स्वागत किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जांच का इस्तेमाल राज्य में लोगों से किए गए वादों को पूरा करने से ध्यान हटाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. शिअद ने पंजाब की आप सरकार द्वारा पिछले एक महीने में कार्यालय में जारी किए गए सभी विज्ञापनों की जांच की भी मांग की.

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घोषणापत्र में किए गए वादे पूरे करे भगवंत मान सरकार- दलजीत सिंह चीमा

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने यहां एक बयान में कहा कि हम सभी राज्य द्वारा जमा किए गए 3 लाख करोड़ रुपए के कर्ज की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं, लेकिन इस जांच को लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में देरी के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने लोगों से किए सभी वादों से मुकरने के लिए खाली खजाने का बहाना बनाया था. शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि राज्य की बागडोर संभालने से पहले राज्य की वित्तीय स्थिति की वास्तविकता जानने के बावजूद मुख्यमंत्री भगवंत मान अब इस स्थिति के पीछे के कारणों की जांच करने का बहाना लेकर आए हैं. उन्होंने आगे कहा कि शिअद का मानना है कि जांच राज्य में सभी महिलाओं को 1,000 रुपये वितरित करने के सरकार के वादे को पूरा करने के अलावा सभी घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली तुरंत सुनिश्चित करने के रास्ते में नहीं आनी चाहिए.

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अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने लगाए AAP सरकार पर आरोप

अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान को पिछले एक महीने के कार्यकाल के दौरान राज्य द्वारा जारी किए गए विज्ञापनों की भी जांच का आदेश देना चाहिए. उन्होंने कहा कि रिपोर्टों के अनुसार, देश भर में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रचार-प्रसार के लिए करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल किया जा रहा है. आप सरकार द्वारा दक्षिण भारत में अपनी कथित उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं. यहां तक कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों में भी ऐसा ही किया जा रहा है. इस उद्देश्य के लिए करोड़ों खर्च किए गए हैं, जिससे पंजाब या पंजाबियों को किसी भी तरह से कोई फायदा नहीं हुआ है.

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पंजाब सरकार ने की है हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा

गौरतलब है कि चुनाव पूर्व अपने प्रमुख वादे को पूरा करते हुए आप सरकार ने 16 अप्रैल को राज्य में 1 जुलाई से 300 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा की थी. आप सरकार ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए मुफ्त बिजली जारी रखने के अलावा, औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाईयों की दरों में भी वृद्धि नहीं की जाएगी. पंजाब सरकार ने इसके अलावा 31 दिसंबर 2021 तक 2 किलोवाट लोड तक के बिल माफ करने की घोषणा की. पंजाब देश में लोगों को मुफ्त बिजली प्रदान करने वाला दिल्ली के बाद दूसरा राज्य है.

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