चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने इतिहास की 3 किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है. पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) ने सिखों के इतिहास से जुड़े तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए ये कार्रवाई की है. पंजाब के शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि किताबों में सिखों के इतिहास से जुड़े तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश करने वाले लेखकों और प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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इन किताबों पर लगाया गया है प्रतिबंध

जिन पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें मंजीत सिंह सोढ़ी द्वारा लिखित मॉडर्न एबीसी ऑफ हिस्ट्री ऑफ पंजाब शामिल है. इसके अलावा महिंदरपाल कौर द्वारा लिखित पंजाब का इतिहास और कक्षा 12 के लिए एमएस मान द्वारा लिखी गई पंजाब का इतिहास पुस्तक हैं. इन पुस्तकों को जालंधर के 3 अलग-अलग प्रकाशकों ने प्रकाशित किया है. पीएचईबी के चेयरमैन योगराज सिंह ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि इन किताबों में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था. स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट सैद्धांतिक रूप से जांच रिपोर्ट के तथ्यों को स्वीकार कर लिया है और तीनों किताब को बैन करने का निर्देश दिया है. अब ये किताबें न तो स्कूलों में पढ़ाया जाएगा न ही राज्य में इसकी बिक्री होगी.

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शिक्षा मंत्री ने किया ट्वीट

शिक्षा मंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘सिख इतिहास हम सभी और आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य है. 12वीं कक्षा की किताब पंजाब का इतिहास में सिखों के इतिहास से जुड़े गलत तथ्य पेश किए गए थे. मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर लेखकों और प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई करने और किताबों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के आदेश जारी किए गए हैं.’

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जांच समिति की रिपोर्ट के बाद फैसला

इतिहास की तीनों किताबों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला एक जांच समिति की एक रिपोर्ट के बाद लिया गया है. जांच समिति का गठन किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा की शिकायत के बाद किया गया था, जिन्होंने कहा था कि इन किताबों में कुछ टिप्पणियां हैं, जो सिखों के इतिहास के मुताबिक नहीं हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ सिख स्टडीज के पूर्व अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह ने बताया कि 2017 में ही बैन की घोषणा की गई थी, इसके बावजूद किताब की पढ़ाई जारी थी. क्योंकि कहा गया था कि फिलहाल इस किताब के विकल्प में कोई किताब लिखी नहीं गई है. उस समय डॉ कृपाल सिंह कमिटी ने इस किताब पर बैन लगाने की सिफारिश की थी.