संगरूर. संगरूर संसदीय सीट पर तमाम सियासी दलों की ओर से सिख चेहरों को चुनाव मैदान में उतारने के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति बदल दी है. सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने हिंदू चेहरे को मैदान में उतारने का मन बना लिया है और अरविंद खन्ना उम्मीदवार हो सकते हैं.

संगरूर से आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल (अमृतसर), शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने सिख चेहरों पर दांव खेला है. ऐसे में भाजपा हिंदू चेहरे के माध्यम से शहरी वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम कर रही है. सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा की नजर जातीय समीकरण के साथ वोट विभाजन के गणित पर भी है.

भाजपा, मान कर चल रही है कि यदि ग्रामीण क्षेत्रों में वोट का विभाजन हुआ तो शहरी वोट बैंक के जरिए किसी चमत्कार होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. संगरूर संसदीय सीट पर करीब 33 फीसदी शहरी आबादी है और इस सीट दलित वर्ग की 32 फीसदी आबादी हालांकि यहां पर बसपा ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है.

सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फुरसत मिलते ही 1-2 दिन के भीतर इसकी औपचारिक घोषणा हो जाएगी. पार्टी की इस रणनीति की जानकारी मिलने के बाद अरविंद खन्ना की टीम में हलचल तेज हो गई सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में वर्करों को कमर कसने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. अरविंद खन्ना संगरूर व धूरी से विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस की टिकट पर 2004 लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं. हालांकि वे 27,277 मतों के अंतर से अकाली दल के नेता सुखदेव सिंह ढींडसा से चुनाव हार गए थे. अरविंद खन्ना तब 2,59,551 वोट लेने में सफल रहे थे.

इस सीट से सिख चेहरे ही संसद भवन पहुंचते रहे हैं. लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विजय इंदर सिंगला ने सिख बाहुल्य क्षेत्र में जीत दर्ज करके इस मिथक को तोड़ दिया था.

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