चंडीगढ़। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. पहली लिस्ट में हरसिमरत कौर बादल का नाम नहीं है और न ही परमिंदर सिंह ढींडसा का नाम है. पहली लिस्ट में कुल 7 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है. अब 6 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करना बाकी रह गया है. Read More – Lok Sabha Election 2024 : बसपा ने संगरूर लोकसभा सीट से डॉ. मक्खन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा
इनमें से सबसे महत्वपूर्ण सीट बठिंडा की है, जहां हरसिमरत कौर बादल का मुकाबला भाजपा की संभावी उम्मीदवार परमपाल कौर मलूका से हो सकता है. 7 उम्मीदवारों की घोषणा प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने की है.
जारी सूची के अनुसार गुरदासपुर से डा. दलजीत सिंह चीमा को टिकट दी गई है. पूर्व शिक्षा मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा, सुखबीर सिंह बादल के नजदीकियों में एक हैं. डा. दलजीत सिंह चीमा श्री आनंदपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनको टिकट गुरदासपुर में दिया गया है. चीमा का कहना था कि वह काफी लम्बे अर्से से अब रोपड़ जिले में सरगर्म हैं. इसलिए उनका पहला हक श्री आनंदपुर साहिब पर बनता है, लेकिन पार्टी ने उनको गुरदासपुर से चुनाव लड़ने के लिए कह दिया है.
श्री आनंदपुर साहिब से प्रेम सिंह चंदूमाजरा को टिकट दिया गया है. प्रेम सिंह चंदूमाजरा पहले भी इस इलाके से लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. डा. दलजीत सिंह चीमा इस इलाके से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने यहां से चंदूमाजरा को चुनाव मैदान में उतारना बेहतर समझा है. चंदूमाजरा ने काफी देर पहले इस इलाके से अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था.
पटियाला इलाके से शिरोमणि अकाली दल ने एनके शर्मा को टिकट दिया है. शर्मा सुखबीर सिंह बादल के बहुत करीबी माने जाते हैं. उनका जीरकपुर और इसके आसपास के इलाके में रियल एस्टेट का बहुत बड़ा कारोबार है. वह विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं और लोकसभा के लिए वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं.
श्री अमृतसर साहिब से अनिल जोशी को टिकट दिया गया है. किसी समय अनिल जोशी का संबंध भाजपा के साथ था, लेकिन अब काफी अर्से से वह शिरोमणि अकाली दल के साथ जुड़े हुए हैं और सुखबीर बादल के करीबी माने जाते हैं. पूर्व मंत्री अनिल जोशी जब भाजपा में थे तो वह श्री अमृतसर साहिब से चुनाव जीतकर पंजाब विधानसभा के मेंबर बने थे. लोकसभा का चुनाव वह पहली बार लड़ रहे हैं.
श्री फतेहगढ़ साहिब से विक्रमजीत सिंह खालसा को चुनाव मैदान में उतारा गया है. वह पूर्व मंत्री स्व. बसंत सिंह खालसा के बेटे हैं और पहले विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. बसंत सिंह खालसा का संबंध गुरचरण सिंह टोहड़ा ग्रुप के साथ था. फरीदकोट इलाके से राजविंदर सिंह को टिकट दिया गया है. राजविंदर सिंह स्व. गुरदेव सिंह बादल के पोते हैं और इनका संबंध फरीदकोट इलाके से है.
गौरतलब है कि राजविंदर के दादा स्व. प्रकाश सिंह बादल के बहुत नजदीकी थे और बादल सरकार में वह मंत्री भी रहे. संगरूर से इकबाल सिंह झुंदा को लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया है. वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. पहले वह पंजाब विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. काफी देर पहले शिरोमणि अकाली दल ने पार्टी की कायाकल्प करने के लिए एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी के मुखी झुंदा थे. कमेटी ने रिपोर्ट दी थी और उसके बाद पार्टी में काफी बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.
संगरूर से असल में सुखदेव सिंह ढींडसा के बेटे पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन पार्टी ने उनके दावे को प्रवान नहीं किया. परमिंदर सिंह ढींडसा कुछ दिन पहले ही अपने पिता सुखदेव सिंह ढींडसा के साथ शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए थे. पहले सुखदेव सिंह ढींडसा ने शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) बना लिया था, लेकिन कुछ दिन पहले सुखबीर सिंह बादल के बार-बार पंथक एकता की अपील को प्रवान करते हुए ढींडसा ने अपनी पार्टी विलय शिरोमणि अकाली दल में कर दिया था. कहने का भाव उन्होंने घर वापसी कर ली थी. लेकिन पंथक इलाकों में इस बात की काफी बड़ी हैरानी है कि संगरूर से परमिंदर ढींडसा की बजाय इकबाल सिंह झुंदा को टिकट से क्यों नवाजा गया.
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