Lok Sabha Election 2024 : पंजाब में दलित वोट बैंक को साधने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने एक बार फिर कमर कस ली है और अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरी है. संगरूर सीट पर बसपा की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता. अब तक भले ही बसपा जीत हासिल नहीं कर सकी है, लेकिन, नतीजों का रुख बदलने में बसपा की भूमिका निर्णायक रही है. बसपा का वोट बैंक इस सीट पर सियासी हवा का रुख कई बार बदल चुका है. बसपा ने इस बार संगरूर वासी दलित नेता डॉ. मक्खन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. Read More – Lok Sabha Election 2024 : पंजाब कांग्रेस में बगावत, पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा टाली, 3 नेताओं को बुलाया दिल्ली

बता दें कि पंजाब में दलितों की आबादी 32 फीसदी है और बसपा 1996 में 3 लोकसभा सीटों पर जीत का परचम लहरा चुकी है. बसपा के संस्थापक स्व. कांशीराम होशियारपुर, फिल्लौर से हरभजन लक्खा और फिरोजपुर से मोहन सिंह सांसद निर्वाचित हुए थे. 1989 और 1991 में बसपा का एक-एक सांसद, पंजाब से चुने गए थे. संगरूर संसदीय सीट पर बसपा के प्रदर्शन की बात की जाए तो 1991 में बसपा के उम्मीदवार आत्मा सिंह 13.2 फीसदी वोट (13,813 मत) हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस की जीत का अंतर 5,298 वोट रहा था.

इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी मंगत राम बांसल ने 215 वोट हासिल किए थे और अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींडसा 27,277 वोट के अंतर से कांग्रेस के अरविंद खन्ना से चुनाव जीते थे. 2009 में बसपा ने मुस्लिम चेहरे मोहम्मद जमील उर रहमान को टिकट दी थी और बसपा को 69,943 वोट हासिल हुए थे. इस चुनाव में अकाली भाजपा गठबंधन को 40,872 वोट के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस के विजयइंदर सिंगला चुनाव जीत गए थे. विधानसभा सीट से 2017 में बसपा के उम्मीदवार थे और उन्हें 4922 वोट हासिल हुए थे.

पंजाब हेल्थ डिपार्टमेंट से डिप्टी डायरेक्टर पद से सेवामुक्त डॉ. मक्खन सिंह वर्ष 2002 से 2015 तक बसपा की पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं. वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद वे बसपा में शामिल हो गए थे. डाॅ. मक्खन सिंह का दावा है कि संगरूर लोकसभा क्षेत्र में दलित, गरीब, मजदूर और विभिन्न कमजोर वर्गों के लोगों की बड़ी आबादी है. ये तमाम वर्ग बसपा का साथ देंगे और पार्टी यहां अब तक का श्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी.