Punjab Rice Rejected: अमृतसर. एक तरफ जहां मंडियों में किसानों के धान की खरीदी नहीं हो रही है, वहीं दूसरी तरफ अन्य राज्य पंजाब से भेजे गए चावल को लेने से मना कर रहे हैं. कर्नाटक और अरुणाचल प्रदेश के बाद अब नागालैंड ने भी चावल की खेप को पंजाब वापस भेज दिया है. यह तीसरी खेप है, जिसे नागालैंड ने वापस लौटाया है. 

FCI का तर्क: चावल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं 

फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) का कहना है कि पंजाब का चावल राष्ट्रीय मानकों पर खरा नहीं उतर रहा. नागालैंड द्वारा खारिज की गई खेप कथित रूप से 4 नवंबर को सुनाम से भेजी गई थी और 11-12 नवंबर को दीमापुर पहुंची. इससे पहले, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक को भेजी गई खेपों को भी निर्धारित सीमा से अधिक टूटे अनाज के कारण खारिज कर दिया गया था. 

Punjab Rice Rejected: खेप में मिली खामियां 

नागालैंड को भेजी गई खेप में 23,097 बोरियां थीं. जांच में पाया गया कि 11,241.59 क्विंटल चावल की गुणवत्ता निर्धारित मानकों से कम थी. इनमें फोर्टिफाइड चावल की मात्रा 0.52% से 0.78% तक कम थी, जबकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए उपयोग किए जाने वाले चावल में 0.9% से 1% तक रिफाइंड चावल होना चाहिए. 

यह चावल 2022-23 की फसल से तैयार किया गया था. जांच में यह भी पाया गया कि कुछ खेप में चावल को कीड़ों से प्रभावित पाया गया, जिसके कारण इसे खारिज कर दिया गया. इस घटना ने पंजाब में चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि किसान और चावल मिल मालिक दोनों को आशंका है कि इसका उपयोग अगले साल धान की खेती को हतोत्साहित करने के लिए किया जा सकता है. 

मिल मालिकों का विरोध 

चावल मिल मालिकों ने खेप खारिज करने को गलत बताया. उन्होंने कहा कि यह चावल दो साल पुराना है और एफसीआई के गोदामों में रखा गया था. उनका आरोप है कि एफसीआई और खाद्य मंत्रालय के बीच विवाद से राइस मिलर्स को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.