राजस्थान. शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर आपने चारों धाम बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम और द्वारका के दर्शन कर लिए हैं. लेकिन आपने पुष्कर का दर्शन नहीं किया है तो आपकी यात्रा सफल नहीं मानी जाएगी।. ऐसे में पुष्कर का महत्व और भी बढ़ जाता है. जी हां राजस्थान का पुष्कर जगतपिता बृह्माजी के लिए प्रसिद्ध है. दुनिया में हिन्दू मान्यता के अनुसार पांचवा तीर्थ भी पुष्कर को माना जाता है. हरिद्वार की तरह पुष्कर भी हिन्दुओं का बड़ा तीर्थस्थल है. तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ स्थल होने के कारण ही इसे तीर्थराज पुष्कर कहा जाता है.
52 घाट हैं पुष्कर सरोवर पर
पुष्कर सरोवर के चारों तरफ कुल 52 घाट बने हुए हैं. इन सभी 52 घाटों का अपना-अपना धार्मिक और पौराणिक महत्व है. इनमें गऊ घाट सबसे बड़ा घाट है. ये 52 घाट अलग अलग राजपरिवारों, पंडितों और समाजों द्वारा बनवाये गए हैं. ब्रह्म घाट, वराह घाट, बद्री घाट, सप्तर्षि घाट, तरणी घाट सहित अन्य घाट शामिल हैं. पुष्कर में विभिन्न राजघरानों की ओर से भी यहां घाटों का निर्माण करवाया गया है. इनमें ग्वालियर घाट, जोधपुर घाट, कोटा घाट, भरतपुर घाट, जयपुर घाट शामिल हैं. Read More – भारत में लॉन्च होंगे Tecno Phantom X2 Series के दो नए स्मार्टफोन, जानें कीमत और फीचर्स …
ये हैं उन सभी घाटों के नाम
मुख्य गऊघाट, जनाना घाट, चीर घाट, बालाराव घाट, हाथीसिंह जी का घाट, शेखावाटी घाट, राम घाट, राय मुकुन्द घाट, गणगौर घाट, रघुनाथ घाट, बद्री घाट, भदावर राजा घाट, विश्राम घाट, नरसिंह घाट, मोदी घाट, वराह घाट, बंसीलाल घाट, एक सौ आठ महादेव घाट, चन्द्र घाट, इन्द्र घाट, शिव घाट, कोट तीर्थ घाट, बंगला घाट, किशनगढ़ घाट, राज घाट, सरस्वती घाट, तीजा माजी का घाट, सप्तऋषि घाट, जोधपुर घाट, बूंदी घाट, गुर्जर घाट, सीकर घाट, वल्लभ घाट, स्वरूप घाट, चौड़ी पैठी का घाट, इंद्रेश्वर महादेव घाट, सावित्री घाट, हेडगेवार घाट, ब्रह्म घाट, अखाड़ा घाट, खींवसर माता घाट, छींक माता घाट, भरतपुर घाट, गांधी घाट नामों से ये घाट जाने जाते हैं. Read More – Safe Driving Tips : वाहन चलाते समय भूल से भी न करें ये 3 काम, वरना हो सकता है जान को खतरा …
पुष्कर सरोवर में पूजा का महत्व
ब्रह्माजी का एक मात्र तीर्थ पुष्कर है और ब्रह्माजी को दिए गए श्राप के अनुसार उनके भक्तों की पूजा तभी सफल होगी जब भक्त उनके स्थान पर आकर पूजा करेंगे. इसीलिए किसी को भी ब्रह्माजी की पूजा करनी है तो उसे पुष्कर आना होगा. जब तक कोई भी भक्त पुष्कर आकर मंदिर और सरोवर में पूजा नहीं करता है उसकी पूजा असफल मानी जाती है. मान्यता है कि इसी सरोवर के पास भगवान ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था जिसके कारण इस सरोवर को मोक्ष दायक भी कहा जाता है.
- छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक