शिखिल ब्यौहार, भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी जितनी खूबसूरत है उतनी ही रहस्यमयी भी है। राजधानी भोपाल स्थित छोटे तालाब के किनारे पर बना रानी कमलापति महल ने अपने अंदर कई रहस्यों को छुपा रखा है। ये मेहल बड़े तालाब और छोटे तालाब के बीच में स्थित है। 1722 में गौड़ वंश की वीर गाथा के साथ शान औ शोकत का गवाह रहा यह महल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। अदृश्य शक्तियों की किवदंतियों के साथ गौरवशाली इतिहास की ऐतिहासिक इमारत की देखरेख का जिम्मा अब केंद्र सरकार के भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के हवाले है। ये जरूरी है कि इस महल से जुड़ी रूह कपकपा देने वाली रूहानी ताकतों के सच की पड़ताल से पहले इस धरोहर से आपको रूबरू कराया जाए।
7 में से पांच मंजिल पानी में है डूबी
यह महल इसलिए भी रहस्यमयी है क्योंकि 7 मंजिलों वाले इस महल की पांच मंजिल पूरी तरह से पानी में डूबी हुई है। कहते हैं कि महल के एक हिस्से में डरा देने वाली अजीबोगरीब आवाज के साथ रानी कमलापति की मौजूदगी लगभग रोजाना ही दर्ज होती है। लिहाजा रात के अंधेरे में तो दूर बल्कि दिन में भी इस हिस्से में आवाजाही पर पाबंदी है। दूसरे हिस्से की पहली मंजिल भी अलग शक्तियों के कब्जे में बताई जाती है। यहां आज भी रानी की तोप और कई कलाकृतियां रखी गई हैं।
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क्यों डुबा महल
दोस्त मोहम्मद खान की रानी कमलापति पर बुरी नजर थी। उन्हें रानी पसंद थी और वह उसे पाना चाहता था। यही कारण था कि रानी के बेटे नवल शाह को युद्ध में मार कर महल की ओर चल दिया। इधर रानी ने समाचार सुन महल के बांध का सकरा रास्ता खोल दिया, जिससे तालाब का पानी महल में आने लगा। इससे उन्होंने अपने शरीर को दुश्मनों से बचाने की कोशिश की। जल्द ही पूरे महल में पानी भर गया और इमारतें डूबने लगीं। रानी कमलापति ने अपनी आबरू बचाने के लिए जल समाधि ले ली थी।
संघर्षों के बीच गुजरा था रानी का सफर
इतिहास के पन्ने बताते हैं कि वीरान हो चुके महल में सदियों बाद भी आमद दर्ज कराने वाली रानी कमलापति का जीवन भारी संघर्षों के बीच गुजरा था। बचपन में जितने सुख रानी ने भोगे उतने ही दुखों को भी सहा। उसकी सुंदरता को देखते हुए उसका नाम कमलापति रखा गया। रानी बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और साहसी थी और शिक्षा, घुड़सवारी, मल्लयुद्ध, तीर-कमान चलाने में उसे महारत हासिल थी। 16वीं सदी में भोपाल से 55 किलोमीटर दूर 750 गांवों को मिलाकर गिन्नौरगढ़ राज्य बनाया गया। जो देहलावाड़ी के पास आता है। इस रियासत के हिंदू राजा निजाम शाह के साथ रानी कमलापति का विवाह हुआ था।
पति की मृत्यु के बाद संभाला शासन
रानी कमलापति के पति निजाम शाह एक रियासत के सियासी षडयंत्र का शिकार हुए। उनकी मौत के बाद गिन्नौरगढ़ और भोपाल रियासत की कमान रानी कमलापति ने अपने हाथों में ली। अपने पुत्र नवल शाह के साथ अकेले जीवन यापन कर रही रानी की खूबसूरती की भनक अफगान लुटेरे दोस्त मोहम्मद खान को लगी। गंदे इरादों को अंजाम देने के लिए दोस्त मोहम्मद खान ने हमला किया। मुगल और गोंड वंश के बीच हुए युद्ध में नवल शाह वीरगति को प्राप्त हुए। यह सूचना मिलते ही अपने सम्मान की रक्षा के लिए रानी कमलापति ने छोटे तालाब में जल समाधि ली और जौहर किया।
रानी का बेशकीमती खजाना भी छोटे तालाब में डूबा
ऐसी किवदंती है कि रानी कमलापति के साथ उनका बेशकीमती खजाना भी छोटे तालाब की अथाह गहराई में डूबा हुआ है। रानी आज भी अपने महल, अपनी रियासत और अपने खजाने की रक्षा करती है। जैसे-जैसे दिन ढलने लगता है। वैसे-वैसे महल में वीरानियत बढ़ने लगती है। जब रात अपने पूरे शबाब पर होती है, तब शुरू होती है रानी कमलापति की हुकूमत। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि कमलापति महल के एक-एक कोने पर आज भी रानी की रूह नजर रखती है।
क्या कहते हैं लोग ?
महल में रूहानी ताकतों के साम्राज्य की हकीकत के बारे में यहां के लोगों का कहना है कि कई ऐसे भी हैं जो एक बार महल में तो गए लेकिन फिर बाहर नहीं लौटे। तो कुछ नसीहत देते हैं कि इस महल से जितना हो सके उतना दूर रहे। वहीं कुछ ने रानी की पायलों की आवाज सुनी। तो किसी न कुछ आहट। पुराने भोपाल के रहवासियों का कहना है कि बचपन से ही उनके वालिद ने महल के आसपास घूमने पर पाबंदी लगाई थी। उनकी दादी ने उन्हे बताया था कि एक बार तालाब में उतारे गए हाथियों की लोहे की जंजीर भी पासर मणि के चलते सोने में तब्दील हो गई थी। कुछ का कहना है कि करीब 50 साल पहले महल में कुछ लोगों ने आमद दर्ज कराई थी। लेकिन रहस्यमय तरीके से वो लापता हो गए।
आज भी भटकती है रानी कमलापति की आत्मा
लोगों की माने तो आज भी इस महल में रानी कमलापति की आत्मा भटकती है। अलग-अलग डरावनी आवाजें भी लोगों को सुनाई देती है। लोगों के जहन में ये महल भूतिया है या फिर रूहानी ताकतों से भरा एक खंडहर। महल के उस भाग ऐसे है जिसे सबसे ज्यादा खौफनाक माना जाता है और सबसे ज्यादा डरावना भी। पांच सौ साल पहले यहां रानी अपनी दासियों के साथ समय बिताया करती थी। ये महल ऐसा है जो हर जगह आम तौर पर नहीं होता। यहां रात में हवाओं का भारीपन, गहरा सन्नाटा और सन्नाटे में कुछ एहसास कराती अदृश्य शक्ति। यहां रानी कमलापति की मौजूदगी के रूह कंपकंपा देने वाले किस्से जुड़े हुए है। जिसे सुन कर आज भी रूह कपकपा जाती है।
300 साल पहले हुआ था महल का निर्माण
जानकारों की माने तो रानी कमलापति महल का निर्माण लगभग 300 साल पहले हुआ था। इतिहास के जानकारों के अनुसार रानी कमलापति, निजाम शाह की पत्नी ने इस महल का निर्माण करवाया था। इसी कारण से इसे कमलापति महल के नाम से भी जाना जाता है।
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