कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश फर्जी नर्सिंग कॉलेज वाले मामले में एक बार फिर से बवाल मचता नजर आ रहा है। फर्जी नर्सिंग कॉलेज की जांच कर रही सीबीआई के कुछ अधिकारियों के जांच के दायरे में फंसे कॉलेज से रिश्वत लेने का मामला एक बार फिर से हाईकोर्ट की दहलीज पर ले जाने की तैयारी है। जी हां मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट यूनियन की तरफ से कहा गया है कि जिन CBI के आरोपी अधिकारी ने फर्जी नर्सिंग कॉलेज की जांच रिपोर्ट सौंपी है, उसे अदालत से अमान्य करने की मांग की जाएगी। यही नहीं लॉ स्टूडेंट के अध्यक्ष विशाल बघेल का कहना है कि HC से यह मांग करेंगे कि उन 169 कॉलेज की दोबारा जांच की जाए, जिन्हें सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में स्यूटेबल बताया है।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद हुई थी CBI जांच

फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले में जनवरी 2022 को मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल बघेल ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश में किस तरह से नर्सिंग कॉलेज के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। विशाल बघेल की ओर से इस मामले में तमाम फर्जी कॉलेज के दस्तावेज पेश करते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने इन फर्जी नर्सिंग कॉलेज की सीबीआई जांच किए जाने के आदेश दिए थे।

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सीबीआई जांच में फंसे सैकड़ों नर्सिंग कॉलेज

प्रदेश के 600 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े के फांस में फंसे है। जिसके चलते साल 2020-21 से परीक्षा नहीं हो पा रही है। हज़ारों छात्र परीक्षा नहीं दे पा रहे है। नर्सिंग काउंसिल द्वारा वर्ष 2020 में खोले गए 670 कॉलेज में से करीब 500 कॉलेज सीबीआई जांच के दायरे में हैं। पिछले दिनों मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट यूनियन की ओर से दायर याचिका पर हुई सुनवाई के बाद सीबीआई जांच के बाद 308 नर्सिंग कॉलेज की लिस्ट पेश की गई थी। जारी सूची में CBI जांच में 169 कॉलेज सही पाए गए है, जबकि सीबीआई ने 74 नर्सिंग कालेजों में कई सारी कमियां बताई है। वहीं सीबीआई ने 65 नर्सिंग कालेजों को पूरी तरह से गलत पाया है।

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सरकार ने अपात्र कॉलेजों को बचाने नियम किए शिथिल !

जानकारों का मानना है कि सरकार ने फर्जीवाड़े में फंसे नर्सिंग कॉलेज को बचाने के लिए अपने नियम शिथिल कर दिए हैं। नए नियम के अनुसार नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए अब 24000 स्क्वायर फीट जमीन की जगह अब 8000 स्क्वायर फीट में ही कॉलेज खोले जा सकेंगे। जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से लगभग सभी कॉलेज जांच के दायरे से बाहर हो जाएंगे। नियम अनुसार नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए 24 हजार स्क्वायर फीट जमीन की जरूरत होती है, जबकि प्रदेश में कई कॉलेज ऐसे है जो एक दो कमरे में संचालित हो रहे थे, कई कॉलेज कागजों पर ही संचालित हो रहे थे।

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