ब्यूरो रिपोर्ट, रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा में हुए दवा घोटाले पर सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी. इसके बावजूद जांच की सुस्त रफ्तार कई सवाल खड़े कर रही है. सवाल ये कि क्या दोषियों को बचाने की कोशिश हो रही है.
लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से उठाई थी खबर
इस खबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने भी प्रमुखता से उठाया था. हम आपको बता दें कि तत्कालीन सीएमएचओ डॉ जी के सक्सेना के कार्यकाल में आधे-अधूरे दस्तावेजों के आधार पर रायपुर की फार्मा कंपनी आशा डिस्ट्रीब्यूटर्स का टेंडर स्वीकृत कर लिया गया था. इस मामले में दवा खरीदी समिति की भूमिका भी संदेह के दायरों में है.
जिस सीएमएचओ के कार्यकाल में घोटाला, उसे ही बनाया गया जांच अधिकारी
जांच को लेकर सरकार कितनी गंभीर है और किस तरह दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है, ये इसी बात से साबित होता है कि कवर्धा में पदस्थ रहे तत्कालीन सीएमएचओ और ज्वॉइंट डायरेक्टर डॉ जी के सक्सेना को ही जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जबकि दवा खरीदी में घोटाला इन्हीं के कार्यकाल में हुआ था. ऊपर से इसी 29 सितंबर को वे रिटायर भी हो गए.
वर्तमान सीएमएचओ की भूमिका संदिग्ध
गौरतलब है कि निविदा में गड़बड़ी के बावजूद वर्तमान सीएमएचओ डॉ अखिलेश त्रिपाठी के कार्यकाल में क्रय नियमों और वित्त संहिता की अनदेखी कर क्रय आदेश जारी किए गए. इसके बाद सारे नियमों को ताक पर रखकर टेंडर हो जाने का हवाला देते हुए बाजार दर से अधिक पर सामग्री क्रय की गई.
इधर जांच के लिए कवर्धा पहुंचे ज्वॉइंट डायरेक्टर जी के सक्सेना ने एक मुलाकात में बताया था कि शुरुआती जांच में गड़बड़ियां दिख रही हैं और सीएमएचओ से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है, लेकिन वे खुद की जांच कैसे करेंगे, इस पर वे चुप्पी साध गए.
इधर सूत्रों के मुताबिक, दवा खरीदी में घोटाले की शिकायत को लेकर ज्वॉइंट डायरेक्टर रायपुर को सीएमएचओ डॉ अखिलेश त्रिपाठी द्वारा भेजे गए स्पष्टीकरण में झूठी और भ्रामक जानकारी दी गई है. उन्होंने सारा दोष स्टोर प्रभारी और स्टोर कीपर पर मढ़ दिया है.
सीएमएचओ कबीरधाम ने ज्वॉइंट डायरेक्टर को लिखे पत्र में कहा है कि बिल में एक्सपायरी डेट, बैच नंबर और वजन का उल्लेख नहीं है. वहीं फ्रिज़ की खरीदी के बिल में मेक बैच और मॉडल नंबर लिखा नहीं है. वहीं ऑर्डर नंबर, तिथि और संख्या, भंडार पंजीयन में प्रविष्टि के आधार पर बिल का भुगतान किया गया है. अगर ऐसा है तो फिर ये घोर अनियमितता है क्योंकि किसी भी क्रय सामग्री का भुगतान विक्रेता द्वारा दिए गए बिल के आधार पर होता है न कि खुद के ऑर्डर और क्रय आदेश पर.
चहेतों को बचाने की कोशिश
सीएमएचओ का कहना है कि जनवरी 2017 में खरीदे गए एसी, फ्रिज के बिल को उन्होंने सत्यापित नहीं किया था. वे बीएमओ कवर्धा डॉ सतीश चंद्रवंशी और तत्कालीन स्टोर प्रभारी को बचाने के लिए अर्जित अवकाश में होने का हवाला दे रहे हैं और वर्तमान स्टोर प्रभारी द्वारा सत्यापन किया जाना बता रहे हैं, जबकि वर्तमान स्टोर प्रभारी डीएचओ डॉ सुनील सिंह को 23 फरवरी 2017 को स्टोर का प्रभार दिया गया है, तो जनवरी माह के बिल का सत्यापन वे भला कैसे कर सकते हैं.
आर्थिक अपराध शाखा से कराई जा सकती है जांच
जांच में हो रहे गड़बड़धझाले को देखते हुए अब इसकी शिकायत आर्थिक अपराध शाखा से कराए जाने को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है.