आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती को लेकर गड़बड़ी का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। लंबे समय से अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर त्रुटियों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। इस बीच विश्वविद्यालय प्रबंधन एक साथ नियुक्तियां जारी करने की बजाय अलग-अलग इंटरव्यू के बाद नियुक्तियां जारी कर रहा है। वहीं जगदलपुर के पूर्व विधायक संतोष बाफना ने भी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने जांच की मांग की है, इसके अलावा उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जांच के बाद कार्रवाई करने की बात की है।

शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय हमेशा से ही भर्ती में गड़बड़ी को लेकर विवादों में रहा है। इससे पहले पूर्व कुलपति पर धारा 52 के तहत भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की गई थी। फिर इस बार विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया में नियमों को ताक पर रखकर अनियमितता करने के आरोप लग रहे हैं।

दरअसल, विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पर भर्ती के लिए अक्टूबर 2023 में विज्ञापन जारी किया गया था जिसमें 11 संकायों में 59 पदों पर भर्ती की जानी थी इनमें B.Ed विषय पर वित्तीय अनुमति की प्रक्रिया में गड़बड़ी की वजह से विश्वविद्यालय ने इन पदों पर मार्गदर्शन मांग लिया लेकिन उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से इस मामले में समाधान से पहले ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई इससे रोस्टर का क्रम बिगड़ने की आशंका बनी हुई है दूसरी तरफ विज्ञापन में पहले जहां छत्तीसगढ़ शासन के नियमा अनुसार आयु सीमा को निर्धारित करने की बात कही गई थी।

वहीं बाद में इसमें संशोधित विज्ञापन जारी किए बिना ही यूजीसी के मानकों के अनुसार आयु सीमा में छटनि का प्रावधान कर दिया गया ऐसे में पूरे देश भर में सैकड़ो की संख्या में ऐसे अभ्यर्थी जो आयु बंधन की वजह से आवेदन दाखिल नहीं कर पाए रहे थे वे भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाए इतना ही नहीं हाल ही में दूसरे चरण में इंटरव्यू के बाद प्राध्यापकों के नियुक्ति के लिफाफे कार्य परिषद में खोले गए उसमें एक भी जन प्रतिनिधि मौजूद नहीं था बल्कि प्रक्रिया में जिस तरह से जल्दबाजी में एक के बाद एक नियुक्ति के आदेश जारी किए जा रहे हैं उससे भी सवाल उठ रहे हैं।

मामले में नॉट फाउंड सूटेबल और दिव्यांग कोटे पर भी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अभ्यर्थियों की नियुक्ति टाल दी है, इसे भी उम्मीदवारों ने मनमाना और गलत बताया है। मेरिट सूची के इंटरव्यू में प्रेजेंटेशन के नाम पर अभ्यर्थियों को उचित अवसर नहीं दिया गया। यहां तक कि इंटरव्यू पैनल में विश्वविद्यालय प्रबंधन के भी अधिकारी शामिल किए गए, जो मेरिट सूची बनाने में मौजूद थे। इससे भर्ती में गोपनीयता भंग होने की बात स्पष्ट है क्योंकि मेरिट सूची बनाने वाले प्राधिकारी के पास सभी अभ्यर्थियों के नंबरों की जानकारी होती है और इंटरव्यू में इस हिसाब से किसी को भी नंबर अलग-अलग दिए जा सकते हैं।