प्रतीक चौहान. रायपुर. हां… सही पढ़ा आपने, Railway से ज्यादा आरक्षण टिकट में रायपुर के एजेंट पैसे कमा रहे है. लेकिन आप सोचिए कि आरपीएफ की लिखित शिकायत और मौजूद बिल के बाद भी जांच न करने की क्या मजबूरी हो सकती है. ये मजबूरी क्या होगी ये तो अधिकारी ही बताएंगे लेकिन ऐसे ही एक एजेंट के यहां विजिलेंस की टीम ने छापा मारा है.
रायपुर Railway स्टेशन के ठीक सामने मौजूद है ‘अपना ट्रेवल्स’. ये एजेंट रेलवे की आरक्षण टिकट बेचकर रेलवे से ज्यादा कमा रहा है. लल्लूराम डॉट कॉम ने इस एजेंट की पोल खोलने के लिए एक पड़ताल की. पड़ताल में हमने रायपुर से अहमदाबाद की एक टिकट एजेंट से करवाई. एजेंट ने 1851 रुपए की टिकट के एवज में हमसे (लल्लूराम डॉट कॉम से) 3600 रुपए लिए. यानी डबल से मात्र 51 रुपए कम. इतना ही नहीं टिकट कैंसल के नाम पर एजेंट ने पहले 900 रुपए (यानी टिकट की आधी कीमत कटने की बात कही).
यहां से टिकट लेने के बाद बिना एक मिनट की देरी किए हमने इसकी लिखित जानकारी Railway क्राइम ब्रांच (CIB) को दी. ट्वीटर पर कंप्लेन की, रायपुर आरपीएफ के उच्च अधिकारियों से लेकर बिलासपुर के उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई, न एजेंट के दुकान में लिखित शिकायत के बाद भी जांच हुई. जबकि ट्वीटर में शिकायत के बाद रेल मंत्रालय ने मामले को संज्ञान लिया शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर मांगा. इसके बाद आरपीएफ रायपुर के ट्वीटर हेंडल से उस शिकायत ये जवाब आया कि ‘जानकारी देने के लिए धन्यवाद आपके शिकायत को संबंधित पोस्ट रायपुर को प्रेषित की गई है’. लेकिन इसके बाद कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं हुई.
इसी दौरान ये मामला विजिलेंस टीम बिलासपुर के पास पहुंचा और जानकारी के मुताबिक चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) डीके सिंह, इंस्पेक्टर राजील लोचन चौबे और चंदन कुमार की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की है. हालांकि ये टिकट लल्लूराम डॉट कॉम ने कैंसल करवा ली थी और एजेंट ने 3600 रुपए की टिकट के एवज में विजिलेंस के छापे के बाद 3200 रुपए लौटाएं है.
जांच तो कर सकती थी आरपीएफ
इस पूरे मामले में उक्त एजेंट के खिलाफ Railway Act की धारा 143 के तहत कार्रवाई संभव नहीं है, क्योंकि वह अधिकृत एजेंट है. लेकिन सवाल ये है कि जब इस मामले में आरपीएफ के पास लिखित शिकायत मौजूद है तो भी क्या ये अधिकृत एजेंट की दुकान में जांच नहीं कर सकती ? या जांच न करने के पीछे की कुछ और वजह है ? आरपीएफ की टीम दुकान में जांच कर सकती थी, संभव हो कि वहां से बड़ी संख्या में अनाधिकृत आईडी से बनी तत्काल टिकटें मिल सकती थी. वहां से आरपीएफ वो बिल की कॉपी भी मिल सकती थी जो ग्राहकों को दी जा रही है. चूंकि दीपावली का समय था इसलिए वहां से काउंटर टिकटें भी मिलने की संभावना थी. इतना ही नहीं आरपीएफ चाहती तो शिकायत के आधार पर जांच के बाद वे आईआरसीटीसी को पत्र भी लिख सकती थी कि उक्त एजेंट आरक्षित टिकटों में तय शुल्क से ज्यादा की टिकटें बेच रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. लेकिन आरपीएफ ने ऐसा कुछ नहीं किया. खैर… उम्मीद है कि इस पूरे मामले में एजेंट के खिलाफ विजिलेंस की टीम कोई ठोस कार्रवाई करेगी. आपसे रेलवे टिकटों के नाम पर कोई एजेंट अवैध वसूली करता है और तत्काल टिकट अधिक दाम पर बेचता है तो हमें 9329111133 पर संपर्क करें. जानकारी देने वाले का नाम लल्लूराम डॉट कॉम द्वारा गोपनीय रखा जाएंगा.
जितना टिकट बेचकर रेलवे नहीं कमाती है उतना ये एजेंट कमा रहा…. जय हो रेलवे @RailMinIndia @drm_raipur @RPF_RAIPUR @rpfsecr1 @RPF_INDIA @AshwiniVaishnaw pic.twitter.com/Su4074svM1
— Pratik Chauhan (@pratikchauhan29) October 29, 2021
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