प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में आरपीएफ (RPF) के पुराने साहब से नए साहब एक कदम आगे निकल गए है… आगे इसलिए क्योंकि वो तो सिर्फ पिकनिक जाते थे, लेकिन नए वाले साहब ने तो जवानों के लिए नियुक्त हुए कुक तक को नहीं छोड़ा… आलम ये हैं कि बिलासपुर रेल मंडल के स्टॉफ अब दबी जुबान में ये कह रहे हैं कि क्या हम भूखे पेट रहकर ड्यूटी करें क्या ?

इतना ही नहीं नए साहब अपने प्राईवेट बंगले में रहते है. लेकिन उन्हें रेलवे की पूरी शासकीय सुख सुविधा इसी बंगले में चाहिए. अब नियमों के इतने पक्के साहब ये कैसे जस्टिफाइ करेंगे कि प्राइवेट बंगले में भी 3 शिफ्ट में ड्यूटी लगाने का कौन सा प्रावधान है ? जबकि रेलवे में चल रही अंग्रेजों के जमाने की नौकरशाही खत्म करने का प्रयास रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव लगातार कर रहे है, लेकिन आरपीएफ (RPF) के नए साहब ने रेल मंत्री की पूरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

रही सही कसर छोटे और उनसे छोटे साहब ने भी पूरी कर दी है और उन्हें उनके बंगले में भी 4 लोगों का खाना बनाने के लिए कुक चाहिए जिन्हें आरपीएफ के जवानों का खाना बनाने के लिए रखा गया है.

हालांकि साहब से डर के कारण अब तक किसी जवान ने इसकी आवाज नहीं उठाई है, लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम तक अपना ये संदेशा पहुंचा दिया है.

अपना पेट्रोल जलाकर ड्यूटी करने जाते है

लल्लूराम को पहुंचाए संदेशे में स्टॉफ ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए ये भी बताया है कि साहब का प्राइवेट बंगला 8-10 किलोमीटर दूर है. उन्हें अपने पैसे का पेट्रोल जलाकर साहब के प्राईवेट बंगले में ड्यूटी करने जाना पड़ता है.

हालांकि ये आरपीएफ डीजी और रेल मंत्रालय के लिए जांच का विषय है कि ऐसा कौन सा प्रावधान हैं जिसमें आरपीएफ (RPF) के साहब के प्राईवेट बंगले में भी स्टॉफ से ड्यूटी कराई जा रही है… इतना ही नहीं एक स्टॉफ ने तो ये भी कहा कि जब हमें अपने घर में रहने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है तो क्या नए साहब ने यहां रहकर रेलवे की सारी सुख सुविधाएं भोगने के लिए अनुमति ली है ?

चूंकि साहब पद में सबसे वरिष्ट है… इसलिए आरपीएफ परिवार को रेल मंत्रालय और आरपीएफ डीजी से ही न्याय की उम्मीद है.