मनोज उपाध्याय, ग्वालियर-चंबल। मध्य प्रदेश के मुरैना चंबल और क्वारी नदियों में आई बाढ़ अब खामोश हो गई है. अब इस प्राकृतिक आपदा से मिले जख्म दिखने लगे हैं. जो लोग बाढ़ में फंसे रहे वह उन पलों को याद करके अभी भी डरे हुए हैं. तीन-तीन दिन तक लोग जलसैलाब के बीच घिरे रहे. उनकी आंखों के आगे पालतू मवेशी बाढ़ में बह गए और राशन-पानी भी बाढ़ निगल गई. बाढ़ का पानी उतरने के बाद लोग अब खाने तक को तरस रहे हैं. प्रशासन की मदद अभी तक पीड़ितों तक नहीं पहुंची. आलम यह है कि किसी समाजसेवी एवं ग्रामीण पीड़ित परिवारों को गैस सिलेंडर दे गया है तो, कोई राशन. वहीं कुछ लोग 200-500 रुपए की आर्थिक मदद कर रहे हैं.

दरअसल, क्वारी नदी के किनारे बसे देवरी का पुरा गांव निवासी बदन सिंह कुशवाह बाढ़ की त्रासदी बताते हुए कहते हैं कि घर में जो राशन, कपड़े, बर्तन आदि सामान रखा था वह सब बह गया. तीन दिन तक घर पानी में डूबा रहा और वह अपने परिवार के साथ हाईवे किनारे शरण लेकर डंटे रहे. अब पानी घर से निकला और पूरे घर में कीचड़ रह गया है. खेतों में खड़ी पूरी फसल बर्बाद हो गई है. अभी तक प्रशासन की ओर से एक दाने की मदद नहीं मिली. गांव के लोग खाना दे रहे हैं, जिससे पूरे परिवार का पेट भर रहा है. बदन सिंह आंखों में आंसू भरके कहते हैं कि आगे जीवन कैसे कटेगा? पता नहीं.

क्वारी नदी की बाढ़ का तीन दिन तक सामना करने वाली विजय सिंह का पुरा निवासी रामायणी बाई कहती हैं कि यह तीन दिन जीवन के सबसे डरावने दिन थे. पल-पल मौत का डर सता रहा था. अचानक घरों में पानी भरा और वह अपने बच्चों को लेकर छत पर जाकर बैठ गईं. तीन दिन तक इसी छत पर बैठी रहीं. आंखों के सामने तीन पालतू बकरियां बाढ़ में बह गईं. घर में एक साल का राशन भरा था वो सबकुछ खत्म हो गया. शासन की ओर से एक बार खाने का पैकेट आया, अब ग्रामीण ही मदद कर रहे हैं. रामायणी बाई के अनुसार कोई समाजसेवी या ग्रामीण 500 रुपया तो कोई 100 रुपया दे जा रहा है. अभी इसी से गुजारा हो रहा है.

वहीं दतिया में भी कुछ इस तरह का ही मंजर नजर आ रहा है. जहां बाढ़ की तबाही से मची बदहाली से गांव के गांव नष्ट हो गए हैं. जिले के ग्राम कोटरा में 90 फीसदी तक क्षति हुई है. गांव में आदमी दाने दाने के लिए मोहताज हो गए हैं. जहां उनकी फसल में पानी भर चुका है तो वहीं ग्रामीण लोग भी रोड पर बैठे नजर आ रहे हैं. कहीं मकान की दीवार चटक गई है तो, कहीं लोग ऊंची जगह पर बैठे दिखाई दे रहे हैं.

इसके अलावा दतिया जिले के गांव ग्राम सुनारी और पाली के गांव में कई परिवार बेघर हो गए हैं. सिंध नदी के किनारे बसे सुनारी और पाली गांव में आफत की बाढ़ ने सैकड़ों परिवार तबाह कर दिए. आज यह परिवार प्रशासन की योजनाओं और मदद के लिए अपनी नम आंखों से प्रशासन की मदद के लिए उनके इंतजार की राह देख रहा है. लेकिन किसी प्रकार की मदद नहीं की जा रही है. करीब 4 दिन से अपने परिवार के साथ बैठे ग्रामीण अपना सिर्फ समय काट रहे हैं और अपने बच्चों के लिए खाने पीने के लिए मदद का इंतजार कर रहे हैं. ग्राम पाली और सुनारी के ग्रामीणों की हालत बहुत ही खराब हो गई है. करीब 4 सैकड़ों की संख्या में गांवों के लोगों सुरक्षित स्थान पर प्रशासन ने बैठा दिए हैं.

शिवपुरी तहसील के कोटा-भगोरा क्षेत्र में भारी बारिश के बाद नदी-नाले अब उतर चुके हैं. जिसके बाद इस क्षेत्र में बर्बादी का मंजर दिखाई देने लगा है. क्षेत्र में सड़के उखड़ गई, घर बर्बाद हो गए, खाने के लिए किसानों के घर में रखा अनाज भी बारिश में बह गया. धान के खेत रेत के टीले में तब्दील हो गए हैं.

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