रायपुर। राजधानी के विधानसभा थाना इलाके में साल 2018 में हुए हत्या के मामले में कोर्ट ने 6 आरोपियों को बरी कर दिया है. लेकिन कोर्ट ने विवेचक अधिकारी लक्ष्मण कुमेटी की विवेचना पर सवाल उठाते हुए कहा कि हत्या जैसे गंभीर अपराध में आरोपियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से निम्नतम स्तर की विवेचना की गई. फिर थाना प्रभारी अश्वनी राठौर ने भी अंतिम प्रतिवेदन पेश करते समय प्रकरण के सभी साक्ष्यों का सही तरीके से अवलोकन नहीं किया और कार्य के प्रति लापरवाही बरती गई. मामले की सुनवाई सुरेश जून की अदालत में हुई.

इसके साथ ही कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन के गृह सचिव को इस गंभीर लापरवाही पर पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. उन्होंने कहा है कि इस प्रकरण के विवेचक लक्ष्मण कुमेटी और थाना प्रभारी अश्वनी राठौर के खिलाफ विभागीय जांच की जाए और जांच के निष्कर्ष से इस न्यायलय को अवगत कराया जाए. 

आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ए.के. सेन ने बताया कि मृतक परमानंद का उसी गांव के निवासी फुलबतिया और भगवती के बीच संपत्ति विवाद था, लेकिन पुलिस ने यह स्टोरी बनाई कि इसकी हत्या डेढ़ लाख रुपए सुपारी देकर कराई गई है. आरोपियों ने रिश्तेदार उमाशंकर को हायर किया, फिर उमाशंकर ने अपने तीन दोस्तों को हायर किया. पुलिस ने इस आधार पर सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया था. चार्जशीट फाइल होने के बाद गवाही ली गई. इस दौरान विवेचना अधिकारी लक्ष्मण कुमेटी और थाना प्रभारी अश्वनी राठौर ने साक्ष्य नहीं जुटाते हुए जांच में लापरवाही बरती. अब कोर्ट ने सबूत के आभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.

बता दें कि 27 अक्टूबर 2018 में विधानसभा थाना क्षेत्र के डबरा खदान के पास पप्पू उर्फ परमानंद चतुर्वेदी की हत्या कर दी गई थी. मामले में अभियुक्त फुलबतिया चतुर्वेदी, भगवती चतुर्वेदी, उमाशंकर धृतलहरे, कैलाश कुमार धृतलहरे, धर्मेन्द्र कुमार जांगड़े और हरिश कुमार पटेल को धारा 302, 120 बी, 201 के तहत गिरफ्तार किया गया था.